रीवा। भोपाल के हमीदिया अस्पताल (Hamidia Hospital) में बच्चों के वार्ड में हुई आगजनी से कई बच्चों की मौत हो गई है। यह घटना प्रशासनिक लापरवाही का नजीता है। आगजनी के दौरान फायर फाइटिंग की व्यवस्था दुरुस्थ होती तो इस तरह हुई मौतों को रोका जा सकता था। भोपाल में हुई घटना के बाद अब रीवा (Rewa) में अस्पतालों की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यहां पर उपचार के लिए आ रहे बच्चों एवं अन्य मरीजों के लिए हर समय खतरा बना रहता है। रीवा (Rewa) में गांधी स्मारक अस्पताल और जिला अस्पताल में फायर फाइटिंग सिस्टम (Fire Fighting System) की व्यवस्था नहीं है।
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कागजी खानापूर्ति के लिए अस्पतालों में फायर सिस्टम के नाम पर छोटे सिलेंडर कुछ जगह रखे गए हैं। इसी नवंबर महीने में ही सभी सिलेंडर एक्सपायर भी हो जाएंगे। अस्पतालों में यदि कोई हादसे हो जाएं तो त्वरित राहत मिलना मुश्किल है। मेडिकल कालेज के गांधी स्मारक अस्पताल में पूर्व में कुछ घटनाएं ऐसी हो चुकी हैं, जिनकी वजह से व्यवस्थाओं पर सवाल उठ रहे थे। कुछ साल पहले आग भड़की थी, हालांकि जल्द ही उस पर काबू पा लिया गया था। उस दौरान प्रबंधन ने दावा किया था कि फायर फाइटिंग सिस्टम (Fire Fighting System) को सुधारा जाएगा लेकिन अब तक कोई बदलाव नहीं हुआ है। मेडिकल कालेज प्रबंधन के पास शासन का पत्र आया है कि फायर आडिट की नियमों के अनुसार व्यवस्था बनाएं।
हादसे हुए तो नगर निगम के फायर बिग्रेड पर निर्भर
विंध्य के सबसे बड़े संजयगांधी अस्पताल में भी फायर सेफ्टी के पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। कभी यदि हादसे होते हैं तो स्वयं के स्तर पर अस्पताल प्रबंधन कोई राहत नहीं पहुंचा पाएगा। अस्पताल की पूरी निर्भरता नगर निगम के फायर बिग्रेड पर टिकी हुई है। जबकि अस्पताल में मरीजों, उनके परिजनों और चिकित्सीय स्टाफ आदि को मिलाकर करीब तीन से चार हजार की संख्या हर समय अस्पताल में मौजूद रहती है। इतनी बड़ी संख्या में मौजूद भीड़ को नियंत्रित कर पाना भी मुश्किल काम होगा। इसी वजह से लगातार फायर सेफ्टी के इंतजाम करने की मांगें उठाई जा रही हैं।
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सप्ताह भर में होनी थी फायर आडिट, 7 महीने बाद भी कार्रवाई नहीं
आगजनी की बड़ी घटनाएं देश के किसी भी हिस्से में होती हैं तो रीवा (Rewa) में भी शासन के निर्देश पहुंचते हैं और व्यवस्थाएं बनाने के लिए कहा जाता है। इस बार भी भोपाल की घटना के बाद मुख्यमंत्री ने कहा है कि सभी अस्पतालों में फायर आडिट कराई जाए। इसके पहले भी कई बार ऐसा हुआ है जब अस्पतालों में फायर आडिट कराने के निर्देश आए और बाद में हवा हो गए। बीते मई महीने में सप्ताह भर का समय फायर आडिट के लिए दिया गया था लेकिन अब तक कोई प्रक्रिया नहीं अपनाई गई है। करीब सात महीने का समय बीतने जा रहा है लेकिन अब तक प्रबंधन खामोश है।
माकड्रिल नहीं कराते अस्पताल
नियम है कि अस्पतालों में आगजनी की घटनाओं के दौरान सतर्क रहने के लिए कुछ समय के अंतराल में माकड्रिल कराया जाए। इससे अस्तपालों का स्टाफ भी राहत कार्य के लिए चौकस हो जाता है और संसाधनों को भी दुरुस्थ करने का अवसर मिलता है। रीवा (Rewa) में लंबे समय से संजयगांधी अस्पताल, गांधी स्मारक अस्पताल और जिला अस्पताल में फायर सेफ्टी से जुड़ी माकड्रिल नहीं कराई गई है। अस्पतालों में हालात यह है कि किसी हादसे के दौरान आपात द्वार तक नहीं हैं कि लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके। संजय गांधी अस्पताल (Sanjay Gandhi Hospital) में पहले व्यवस्थाएं बनाई गई थी लेकिन अब वह खराब हो चुकी हैं।
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प्राइवेट अस्पतालों में भी नहीं है कोई इंतजाम
सरकारी अस्पतालों के साथ ही प्राइवेट अस्पतालों में भी फायर फाइटिंग सिस्टम (Fire Fighting System) की बेहतर व्यवस्थाएं नहीं हैं। कोरोना काल में महाराष्ट्र के शहरों में आगजनी हुई थी, उस दौरान प्रदेश सरकार ने भी अस्पतालों में व्यवस्थाएं बनाने के लिए कहा था। कुछ महीने पहले ही नगर निगम के इंजीनियर्स ने शहर के कई अस्पतालों में भ्रमण कर वहां की फायर सेफ्टी से जुड़ी व्यवस्थाओं का प्राथमिक आंकलन कर रिपोर्ट तैयार किया था और संबंधित अस्पतालों के प्रबंधन से व्यवस्थाएं बनाने के लिए कहा था। मौखिक रूप से तो उनदिनों अस्पतालों के प्रबंधन निगम अधिकारियों से समय मांगते रहे लेकिन कई महीने बीतने के बाद भी अब तक व्यवस्थाएं नहीं बनाई गई।
NOC के लिए भी पहल नहीं
शहर में सरकारी एवं प्राइवेट अस्पतालों में अभी तीन के पास ही फायर एनओसी होने की जानकारी है। शासन के निर्देश के अनुसार सभी अस्पतालों को पहले फायर सेफ्टी के इंतजाम करने के बाद नगर निगम से एनओसी लेनी है। इसके बाद इन अस्पतालों को भी फायर आडिट कराना होगा ताकि यह स्पष्ट हो सके कि मापदंडों के अनुरूप व्यवस्थाएं हैं अथवा नहीं। एनओसी वाले अस्पतालों में जिला अस्पताल, रीवा हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेंटर (Rewa Hospital And Research Center), विंध्या हॉस्पिटल (Vindhya Hospital) शामिल हैं। विंध्य के सबसे बड़े अस्पताल संजय गांधी के पास भी एनओसी नहीं है।
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NBC की शर्तें पूरी करना अनिवार्य
शहर में संचालित सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में फायर आडिट कराने का निर्देश शासन द्वारा पहले ही जारी किया जा चुका है, जिसमें नेशनल बिल्डिंग कोड (एनबीसी) के मुताबिक व्यवस्थाएं हैं अथवा नहीं इसका परीक्षण करना है। प्रमुख रूप से आगजनी की स्थिति में मरीजों को बाहर निकालने के लिए अलग से व्यवस्था है या नहीं, फायर फाइटिंग सिस्टम (Fire Fighting System) भवन की क्षमता के अनुरूप है अथवा उससे कम है, अस्पताल में फायर के एक्सपर्ट कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं कि नहीं, आइसीयू में एयरफ्लो एक्सचेंज करने की क्या व्यवस्थाएं हैं, जिससे हवा बदलती रहे आदि को प्रमुख रूप से देखा जाएगा। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि रेस्क्यू के लिए यदि टीम आती है तो वह सहजता से पहुंच पाएगी अथवा नहीं।
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