ओली के हाथ से टपकी ‘सत्ता की गेंद’ तो विरोधी ‘लपकने’ को हुए तैयार, सरकार गठन के लिए विपक्षी दलों को मिला 3 दिन का समय

ओली के हाथ से टपकी ‘सत्ता की गेंद’ तो विरोधी ‘लपकने’ को हुए तैयार, सरकार गठन के लिए विपक्षी दलों को मिला 3 दिन का समय

 

ओली के हाथ से टपकी 'सत्ता की गेंद' तो विरोधी 'लपकने' को हुए तैयार, सरकार गठन के लिए विपक्षी दलों को मिला 3 दिन का समय
केपी शर्मा ओली (File Photo)

 

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नेपाल (Nepal) के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (K P Sharma Oli) को सोमवार को तब बड़ा झटका लगा, जब उन्हें संसद में विश्वास मत में हार का सामना करना पड़ा. वहीं, अब राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी (Bidya Devi Bhandari) ने संसद में सीटें हासिल करने वाली पार्टियों से कहा है कि वे गुरुवार तक बहुमत वाली नई सरकार का गठन करें. राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा राष्ट्रपति भंडारी ने नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 76 (2) के अनुसार बहुमत वाली सरकार बनाने के लिए पार्टियों को आमंत्रित करने का निर्णय लिया है.

 

हिमालयन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति ने पार्टियों को बहुमत वाली सरकार गठित करने के लिए तीन दिन का समय दिया है. पार्टियों को गुरुवार रात 9 बजे तक सरकार गठन का दावा करना है. संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, एक उम्मीदवार को निर्धारित समय के भीतर संसद के दो या अधिक राजनीतिक दलों के सांसदों के हस्ताक्षर राष्ट्रपति कार्यालय में प्रस्तुत करने की जरूरत होती है. ओली के संसद में विश्वास मत (Trust Vote) हारने के तुरंत बाद राष्ट्रपति ने अपने निर्णय की जानकारी दी.

 

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ओली को मिला सिर्फ 93 सांसदों का साथ

दरअसल, पुष्पकमल दहल के नेतृत्व में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया. इसके बाद ओली सरकार अल्पमत में आ गई थी. यही वजह थी कि केपी शर्मा ओली ने 275 सदस्यों वाली संसद में विश्वास मत हासिल करने का फैसला किया. लेकिन उनका ये निर्णय उन पर ही भारी पड़ गया, क्योंकि उन्हें सिर्फ 93 वोट ही मिले. ओली को विश्वास मत हासिल करने के लिए 136 वोटों को हासिल करना था, लेकिन वह इससे 43 वोट पीछे रह गए. स्पीकर अग्नी सप्कोटा ने ऐलान किया कि संसद के 124 सदस्यों ने विश्वास मत के खिलाफ वोट दिया, जबकि 14 सदस्य तटस्थ रहे. संसद के इस सत्र में 232 सांसद शामिल हुए.

 

…तो ओली को फिर मिल सकता है सरकार गठन का मौका

ओली के विश्वास मत हासिल करने में विफल रहने पर राष्ट्रपति को संविधान का अनुच्छेद 76 (2) लागू करते हुए नई सरकार का गठन करने कि लिए पार्टियों को आदेश देना होता है. इसके अनुसार, यदि किसी पार्टी के पास सदन में स्पष्ट बहुमत नहीं है तो राष्ट्रपति सदन के एक सदस्य को प्रधानमंत्री नियुक्त करेगा, लेकिन उसे सदन के दो या अधिक पार्टियों के समर्थन से बहुमत स्पष्ट करना होगा. यदि सदन फिर भी सरकार गठित करने में या नियुक्त किया गया प्रधानमंत्री 30 दिनों के भीतर विश्वास मत हासिल करने में विफल रह जाता है, तो राष्ट्रपति अनुच्छेद 76 (3) को लागू करेगा. इस तरह ओली को एक बार फिर सरकार बनाने का दावा करने का मौका मिलने की संभावना है. इसके पीछे की वजह संसद में ओली की पार्टी के सदस्यों की संख्या सबसे अधिक होना है.

 

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