उज्जैन। भगवान महाकाल के दरबार में करीब ढाई माह बाद रसोई से भोजन की महक आने लगी है। कोरोना काल के लंबे समय बाद जब मंदिर आम और खास श्रद्धालुओं के लिए खुला, अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई, तो चहल-पहल भी बढ़ गई। दर्शन करने के बाद लोग यहां आकर प्रसादी का आनंद ले रहे हैं। सावधानी बरतते हुए भोजन बनाने वालों से लेकर परोसने वालों तक के चेहरों पर मास्क लगा रहता है।
महाकाल मंदिर 28 जून से आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। साथ ही भोजनशाला भी आधी क्षमता के साथ शुरुआत कर दी गई है। भोजनशाला (अन्न क्षेत्र) प्रभारी निनाद काले ने बताया कि प्रतिदिन लगभग 100 से 150 लोग भोजन करने आ रहे हैं।
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भोजनशाला में भी साफ-सफाई और शुद्धता का पूरा ध्यान रखा जाता है। बर्तन भी गरम और ठंडे पानी से दो बार साफ किए जा रहे हैं, ताकि किसी भी प्रकार के वायरस की संभावना न रहे। आने वालों को भी दूरी-दूरी पर बैठाया जा रहा है। वहीं भोजन परोसने वाले कर्मचारी भी बार-बार हाथ धोते रहते हैं और मास्क पहनकर ही कार्य करते हैं।
अभी सब्जी-रोटी चावल और बेसन चक्की
प्रभारी ने बताया कि पूर्व में हर माह की 1 और 15 तारीख को दाल-बाफले-कड़ी-चावल और लड्डू का प्रसाद दिया जाता था, लेकिन जब से कोरोना का संक्रमण आया और लॉकडाउन लगा, उसके बाद से अन्न क्षेत्र में सिर्फ जरूरतमंदों के लिए अस्पताल और अन्य सामाजिक संस्थाओं के लिए पैकेट्स तैयार किए जाने लगे। अब चूंकि मंदिर 28 जून से खुल गया है, तो भोजनशाला भी शुरू हो गई, अब आने वाले श्रद्धालुओं को सब्जी-रोटी, चावल और बेसन चक्की परोसी जा रही है।
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टोकन लाना अनिवार्य
मंदिर में दर्शन करने के बाद जब श्रद्धालु लौटकर बाहर निकलता है, तो नीचे परिसर के काउंटर से एक टोकन लेना होता है। इसके बाद बाहर निकलकर बड़े गणेश मंदिर के समीप स्वामी विश्वात्मानंद आश्रम में संचालित अन्नक्षेत्र में आकर वह टोकन देकर ही भोजन कराया जाता है। वर्तमान में जो लोग बाबा महाकाल के दर्शन करने नहीं आ पा रहे हैं, उनके लिए ऑनलाइन दर्शन की भी व्यवस्था की गई है।
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