भोपाल। हमीदिया अस्पताल (Hamidia Hospital) के एसएनसीयू में आग की घटना में एक दर्जन बच्चों की मौत के बाद ऐसा नहीं लगता कि डॉक्टरों कोई सबक लिया हो। डॉक्टरों के असंवेदनशील व्यवहार के कारण मरीज और उनके परिजनों को तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ताजा मामला राघौगढ़ के एक बच्चे का है।
हाथीपांव (फाइलेरिया) से पीड़ित इस बच्चे के पांव में दर्द बढ़ने पर परिजन रविवार दोपहर उसे लेकर हमीदिया अस्पताल (Hamidia Hospital) पहुंचे थे। यहां पर्चा बनवाया, तब उन्हें पीडियाट्रिक सर्जरी में जाने का कहा गया। वहां डॉक्टरों ने देखने के बाद उनको प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेंट जाने की सलाह दी। इस डिपार्टमेंट के स्टाफ ने उनको वापस पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट में जाकर डॉक्टरों को दिखाने का कहकर चलता कर दिया।
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ऐसे में दिनभर भटकने के बाद भी वो अपने बच्चे को न तो अस्पताल में भर्ती करा पाए और ना ही उसका इलाज ही शुरू हुआ। उन्होंने रात भी हमीदिया अस्पताल (Hamidia Hospital) परिसर में ही काटी। सोमवार सुबह अस्पताल की ओपीडी शुरू हुई तो परिजन सक्रिय हुए। दूसरे दिन भी वह एक से दूसरे विभाग में बच्चे के साथ भटक रहे थे। दोपहर बाद अस्पताल के ही एक डॉक्टर ने परिजनों की बात सुनी। उनके हस्तक्षेप के बाद पीडियाट्रिक विभाग में बच्चे को भर्ती किया गया।
दीपावली के समय से बढ़ रहा था दर्द
परिजनों की मानें तो इस बच्चे (14 साल) को लंबे समय से हाथीपांव की बीमारी है। इस बार दीपावली के समय से पैर में काफी दर्द होना शुरू हुआ था। जो अब हररोज बढ़ता ही जा रहा था। बच्चे को तकलीफ असहनीय होने पर परिजन उसका इलाज कराने हमीदिया अस्पताल (Hamidia Hospital) पहुंचे थे।
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जवाब देने को तैयार नहीं है जिम्मेदार
इस संबंध में हमीदिया अस्पताल (Hamidia Hospital) के जिम्मेदारों से बात करनी चाही, लेकिन ना तो पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ. ज्योत्सना श्रीवास्तव ने बात की और ना ही हमीदिया अस्पताल (Hamidia Hospital) अधीक्षक डॉ. दीपक मरावी ने ही कोई जवाब दिया।
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