रीवा। फल-सब्जी का थोक व्यवसाय शुरू होने के बाद कृषि उपज मंडी करहिया कीन सिर्फ आय बढ़ जाएगी बल्कि मंडी के सी ग्रेड से वापस बी ग्रेड में लौटने की संभावना भी बनेगी। मंडी परिसर में थोक फल सब्जी मंडी का लोकार्पण अभी हाल में हुआ है। सब्जी के कुछ थोक व्यापारियों ने अपना व्यवसाय शिफ्ट करना भी शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि इस वर्ष के अंत तक थोक सब्जी व्यवसाय पूरी तरह करहिया मंडीप्रांगण में शिफ्ट हो जाएगा।
उल्लेखनीय है कि थोक सब्जी मंडी में 345 नई दुकानें बनाई गई हैं। यह दुकानें अलग-अलग आकार की हैं। पेयजल, शौचालय, बैंक सहित अन्य सभी सुविधाएं होने से थोक व्यापारियों को व्यवसाय करने के लिये यह सब्जी मंडी भा भी रही है। बताया गया है कृषि उपज मंडी करहिया मंडी में सब्जी के अलावा अनाज और दलहन, तिलहन का कारोबार भी होता है। इसके अलावा समर्थन मूल्य पर धान और गेहूं सहित अन्य उपज की खरीदी भी की जा रही है। जिससे करहिया मंडी की मासिक आय इस समय 22 से 25 लाख तक पहुंच रही है।
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डेढ़ प्रतिशत टैक्स पर टिकी मंडी की आय
कृषि उपज मंडी करहिया प्रांगण में व्यवसाय करने पर मंडी प्रबंधन डेढ़ प्रतिशत टैक्स वसूलता है। पूर्व में मंडी टैक्स 2 प्रतिशत था। लेकिन लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व राज्य सरकार ने मंडी टैक्स घटाकर डेढ़ प्रतिशत कर दिया जिससे मंडी की आय पर असर पड़ा।
सब्जी व्यवसाय से दोगुनी होगी आमदनी
करहिया मंडी प्रांगण में सब्जी का थोक व्यवसाय सामान्य रूप से कई महीनें से किया जा रहा हैं। इस सब्जी व्यवसाय से मंडी प्रबंधन को पांच से छह लाख रुपये मंडी टैक्स के रूप में जलते । माना जा रहा है कि जब सब्जी का थोक व्यवसाय यहां शुरू हो जाएगा ते मंडी की मासिक आमदनी बढ़कर 12 लाख रुपये के ऊपर पहुंच जाएगी। मसलन सब्जी व्यवसाय से मंडी को सालाना डेढ़ करोड़ तक की आय का अनुमान लगाया जा रहा है।
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अनाज से 15 से 20 लाख की आय
मंडी परिसर में जो अनाज या अन्य उपज का व्यवसाय हो रहा है, उससे मंडी प्रबंधन को 15 से 20 लाख रुपये की मासिक आय हो रही है। हालांकि उपज की आवक बढ़ने पर आय और बढ़ जाती है। लेकिन जब यहां अनाज या उपज की आवक बहुत कम हो जाती है ते मंडी की मासिक आमदनी सिमटकर 7 से 8 लाख रुपये तक आ जाती है।
इस वजह से बी ग्रेड में पहुंच गई थी मंडी
आमदनी के हिसाब से कृषि उपज मंडी करहिय को पहले बी ग्रेड में शामिल कर लिया गया था। लेकिन तीन-चार वर्ष पूर्व जेपी का सोय प्लांट बंद होने से करहिया मंडी की आय आधी हो गई। जिससे शासन ने करहिय मंडी को बी ग्रेड से बाहर कर सी ग्रेड की श्रेणी में शामिल कर दिय। सी ग्रेड में आने के बाद यहां सुविधाएं भी कम कर दी गई। बताया गया है कि बारिश की अनियमितता की वजह से किसानों ने सोयाबीन का रकबा काफी कम कर दिया। सोयाबीन की आवक कम होने से सेया प्लाट बंद करना पड़ा। सूत्रे के अनुसार प्लांट के लिये पूर्व में सर्वाधिक सेयाबीन की आपूर्ति करहिया मंडी में आने वाली सोयाबीन से ही होती थी।
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