![Rewa News: विश्वविद्यालय तीन वर्ष पहले दिया लाखों का मुआवजा फिर भी आज तक नहीं हो पाया भूमि का नामांतरण 2 Awadhesh Pratap Singh University - apsu rewa](https://www.mpnewsnow.com/wp-content/uploads/2021/12/Awadhesh-Pratap-Singh-University-apsu-rewa-mp-news-now-mnn.jpg)
रीवा। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय (Awadhesh Pratap Singh University) की ओर से 2 करोड़ 59 लाख की मुआवजा राशि दी जा चुकी है। इसे अप्रैल 2018 में दिया गया था। जिसे लगभग 3 वर्ष से ज्यादा का समय हो चुका है। फिर भी अभी तक विश्वविद्यालय (University) को अपनी जमीन प्राप्त नहीं हुई है। संबंधित शाखा के अधिकारियों का कहना है कि विगत तीन वर्षों के दौरान कई बार उनकी ओर से न्यायालय सहित अन्य सक्षम अधिकारियों को इस बारे में अवगत कराया गया।
लेकिन अभी तक भूमि का नामांतरण विश्वविद्यालय के नाम से नहीं हो पाया है। एक बार फिर से तहसीलदार न्यायालय से सीमांकन के लिए दस सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। इसमें तीन राजस्व निरीक्षक और सात पटवारी सहित अन्य राजस्व अमला शामिल है। विश्वविद्यालय ने भी अपनी आठ सदस्यीय टीम गठित की है। जो राजस्व टीम का मौके पर रहकर आवश्यक मदद मुहैय्या कराएगी।
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दो करोड़ से ज्यादा की राशि न्यायालय में जमा
जिन लोगों को विश्वविद्यालय (University) की ओर से मुआवजा राशि दी गई थी उनमें से कई ने राशि प्राप्त भी कर ली है। जिन लोगों ने मुआवजा राशि लेने से इंकार किया है उनके हिस्से की राशि 2 करोड़ 23 लाख अभी भी न्यायालय के संरक्षण में है।
डेढ़ करोड़ का पेनाल्टी भुगतान भी किया
संरक्षण के रूप में न्यायालय में जमा राशि के पेनाल्टी स्वरूप विश्वविद्यालय (University) को 1 करोड़ 48 लाख रुपए की अतिरिक्त राशि भी देनी पड़ी है। विश्वविद्यालय (University) के संबंधित शाखा के अधिकारियों ने बताया कि लगभग 10 से 15 एकड़ भूमि विश्वविद्यालय (University) की विभिन्न लोगों द्वारा ले ली गई है। जिसे मुक्त कराने के लिए अभी तक के प्रयास विफल रहे हैं।
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नामांतरण के अभाव में बिक्री हो रही भूमि
विश्वविद्यालय (University) के जानकारों का कहना है कि नामांतरण प्रक्रिया पूरी नहीं होने से अब संबंधित भूमि को बिक्री किया जा रहा है। ऐसे में अतिक्रमणमुक्त कराने के लिए पूरी प्रक्रिया और भी जटिल होती जा रही है। उनका प्रयास है कि जल्द से सीमांकन की प्रक्रिया पूरी की जाय। जिससे नामांतरण कराया जा सके। साथ ही जिन लोगों की ओर से अतिक्रमण किया गया है उनसे भूमि को लेकर विश्वविद्यालय (University) के हित में किया जा सके।
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