गोपालगंज से दबोचा गया जफर अब्बास फिलहाल NIA के कब्जे में है। लेकिन अब उसके बारे में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। साइबर क्राइम के मामले में जफर अब्बास को एक्सपर्ट बताया जा रहा है।
जफर अब्बास को टेरर फंडिंग के मामले में NIA और आईबी की टीम ने 7 दिसंबर को मांझागढ़ के पथरा में उसके घर से दबोचा था। उसके पास से एनआईए ने दो लैपटॉप, छह मोबाइल और छह सिम कार्ड बरामद किए थे। सूत्रों का कहना है कि एनआईए को ये पक्की खबर मिली थी कि गोपालगंज जिले के मांझागढ़ थाने के पथरा गांव का युवक जफर अब्बास टेरर फंडिंग को लेकर बदनाम आतंकी संगठन लश्कर के संपर्क में है। इसके बाद एनआईए की टीम उसके बारे में जांच-पड़ताल करने लगी। स्थानीय थाने की पुलिस की मदद से जफर पर नजर भी रखी जा रही थी।
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इस दौरान पहले जफर के साइबर क्राइम से जुड़े मामले की तफ्तीश की गई। पता चला कि जफर अब्बास यह 2017 में 29 दिन तक दिल्ली की तिहाड़ जेल और 2018 में गोपालगंज मंडल कारा में तीन महीने तक साइबर क्राइम के केस में बंद था। इसके दो भाई हैं जिसमें मोहसीन और अरबाज विदेश में नौकरी करते हैं। जबकि जफर भोपाल के एक इंजिनियरिंग कॉलेज से बीटेक कर रहा है।
लॉकडाउन के बाद जफर ज्यादातर वक्त अपने गांव पथरा में रहा। बाद में एनआईए को पता लगा कि पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर से उसका कनेक्शन जुडा हुआ है। टेरर फंडिंग के साक्ष्य हाथ लगने के बाद एनआईए की टीम मंगलवार को पथरा गांव पहुंची और जफर को गिरफ्तार कर लिया।
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हैरत तो इस बात की है कि जब इसके गांव के तीन मंजिले घर में तलाशा जा रहा था तो ये अपने मकान के पीछे करीब डेढ़ घंटे तक पानी के अंदर एक गड्ढे में छिपा रहा। लेकिन NIA और आईबी की नजरों से ये बच नहीं पाया और इसे पानी में ही दबोच लिया गया।
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