कैसा दिखता है कोरोना का B.1.1.7 वेरिएंट, जो भारत में संक्रमण की है मुख्य वजह? कनाडा के वैज्ञानिकों ने जारी की तस्वीर

कैसा दिखता है कोरोना का B.1.1.7 वेरिएंट, जो भारत में संक्रमण की है मुख्य वजह? कनाडा के वैज्ञानिकों ने जारी की तस्वीर

 

 

कनाडा (Canada) के वैज्ञानिकों ने कोविड-19 वायरस के B.1.1.7 वेरिएंट की पहली तस्वीर (B.1.1.7 variant Image) को पब्लिश किया है. इसके जरिए ये पता चल सकेगा कि ये वायरस के पहले मिले वेरिएंट के मुकाबले इतना अधिक संक्रामक क्यों है. B.1.1.7 वेरिएंट की वजह से सिर्फ ब्रिटेन में ही कोरोना के मामलों में वृद्धि नहीं हुई, बल्कि ये भारत और कनाडा में भी संक्रमण के मामलों में वृद्धि की वजह बना. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पिछले साल मध्य-दिसंबर में B.1.1.7 वेरिएंट का पहला मामला रिपोर्ट किया था. इसकी वजह से बड़ी संख्या में म्युटेशन देखने को मिला.

 

 

यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया (UBC) ने एक बयान जारी कर कहा, इस तस्वीर को एटॉमिक-रेजोल्यूशन पर लिया गया है, जो ये महत्वपूर्ण जानकारी देगा कि क्यों B.1.1.7 वेरिएंट ज्यादा संक्रामक है. सबसे पहले ब्रिटेन में B.1.1.7 वेरिएंट का पता चला था. वर्तमान में कनाडा भर में सामने आ रहे कोरोना के मामलों की वजह यही वेरिएंट है. UBC के रिसचर्स की इस टीम का नेतृत्व डॉ श्रीराम सुब्रमण्यम (Dr Sriram Subramaniam) ने किया. वह UBC के मेडिसिन डिपार्टमेंट ऑफ बायोकेमिस्ट्री एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी फैक्लटी में प्रोफेसर हैं.

 

 

First Molecular Images Of B.1.1.7 Variant Of Covid 19
B.1.1.7 वेरिएंट की पहली तस्वीर (University of British Columbia)

B.1.1.7 वेरिएंट को लेकर डॉ श्रीराम सुब्रमण्यम ने दी ये जानकारी

डॉ श्रीराम सुब्रमण्यम को कोरोनावायरस के स्पाइक प्रोटीन में मिलने वाले N501Y नाम के एक म्यूटेशन में खासतौर पर दिलचस्पी थी. कोरोनावायरस इसके जरिए ही मानव शरीर में मौजूद कोशिकाओं से जुड़ता है और उसे संक्रमित करता है. उन्होंने कहा, हमारे द्वारा ली गई तस्वीरें N501Y म्यूटेंट का पहला स्ट्रक्चरल झलक दिखाती हैं. इससे ये भी पता चलता है कि इसमें होने वाला बदलाव स्थानीय तौर पर होता है.

 

 

डॉ सुब्रमण्यम ने कहा कि वास्तव में N501Y म्यूटेशन B.1.1.7 वेरिएंट में मौजूद इकलौता ऐसा म्यूटेशन है, जो स्पाइक प्रोटीन में स्थित है. यही मानव शरीर में मौजूद ACE2 रिसेप्टर जुड़ता है. ACE2 रिसेप्टर हमारे शरीर की कोशिकाओं की सतह पर मौजूद एक एंजाइम है, जो Sars-CoV-2 वायरस के लिए प्रवेश द्वारा काम करता है.

 

 

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खास माइक्रोस्कोप के जरिए ली गई तस्वीर

कोरोनावायरस पिन की नोंक से एक लाख गुना तक ज्यादा छोटा है और सामान्य माइक्रोस्कोप के जरिए इसे पहचानना बेहद मुश्किल है. वायरस और प्रोटीन के विस्तृत आकार का पता लगाने के लिए रिसर्च टीम ने ‘क्रायो-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप’ का प्रयोग किया, जिसे क्रायो-ईएम भी जाता है.

 

 

ये माइक्रोस्कोप 12 फीट तक ऊंचा होता है और तस्वीरों को तैयार लेने के लिए ये लिक्विड नाइट्रोजन तापमान पर इलेक्ट्रोन की तरंगों का प्रयोग करता है. डॉ सुब्रमण्यम ने बताया कि हमारे क्रायो-ईएम के जरिए ली गई तस्वीर ACE2 के साथ Y रेजिड्यू (501Y) म्यूटेशन के संबंधों को दिखाती है. इसे लेकर हमारा मानना है कि ये B.1.1.7 के बाइंडिंग और संक्रामकता को बढ़ाने का कारण है.

 

 

 

 

 

 

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