Diwali 2021: दीपावली क्यों मनाई जाती है, दिवाली कब है? माता लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त

Diwali 2021: दीपावली क्यों मनाई जाती है, दिवाली कब है? माता लक्ष्मी पूजन शुभ मुहूर्त

Diwali 2021: हिंदुओं के एक प्रमुख त्यौहार दीपावली (Diwali) के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं कि आखिर में दीपावली क्यों मनाई जाती है। किस दिन दीपक जलाया जाता है। क्यों इस दिन लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। भारत (India) एक ऐसा देश है जिसे त्योहारों की भूमि कहा जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार कुल 33 कोटि देवी देवता हैं। इस प्रकार से देखें तो हमेशा किसी न किसी त्यौहार का माहौल बना ही रहता है।

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इन्हीं त्योहारों इन्हीं पदों में से एक खास पर्व है जो दीपावली के नाम से जाना जाता है और जो दशहरा के ठीक 20 दिन बाद मनाया जाता है। इस त्योहार को देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन दीपावली (Diwali) क्यों मनाई जाती है। आखिर क्या कारण है कि जिससे दीपावली को दीप जलाया जाता है और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। यह सबसे बड़ी बात है तो हम आपको कुछ रोचक बातें बताने जा रहे हैं जिसके आधार पर दीपावली का त्यौहार मनाया जाता है।

दीपावली (Diwali) और दीप उत्सव मनाने के पीछे कई कहानियां प्राप्त होती है, लेकिन उन्हीं कहानियों में से उन्हीं तथ्यों में से हम 5 तथ्यों को चुन करके आपके सामने प्रस्तुत कर रहे हैं जो कि सर्वमान्य है। इन पांच में से तीन हिंदू समुदाय से एक सिख समुदाय से और एक जैन समुदाय से संबंधित है तो आइए हम एक-एक करके सभी कथाओं को सभी कारणों को जानते हैं कि आखिर दीपावली क्यों मनाई जाती है। दीपक क्यों जलाया जाता है और माता लक्ष्मी का पूजन क्यों किया जाता है।

दीपावली कब मनाया जाता है?

सबसे पहले यह जान लेते हैं कि दीपावली (Diwali) का त्यौहार कब मनाया जाता है? दीपावली का त्यौहार दीपोत्सव का यह त्यौहार कार्तिक अमावस्या को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। आइये अब ये जान लेते है कि दीपावली क्यों मनाई जाती है।

भगवान श्री रामचंद्र की हुई थी जीत

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पहली कहानी जुड़ी हुई है। भगवान श्री रामचंद्र जी से रेता युग में जब भगवान श्री रामचंद्र को 14 वर्ष का वनवास हुआ, उस दौरान वे उस 14 वर्ष में अनेक आत्माओं को झेलते हुए लंका पहुंचे। वहां पर लंकापति रावण का वध करने के बाद भगवान श्री रामचंद्र कार्तिक अमावस्या को ही अयोध्या लौटे थे। इस अवसर पर समस्त अयोध्यावासी भगवान श्री राम के नगर वापसी पर खुशी मनाते हुए घी का दीपक जलाए थे। तब से दीपावली का पर्व मनाया जाने लगा है।

माता लक्ष्मी जन्मी थीं

दूसरी कथा जुड़ी हुई है। समुद्र मंथन से समुद्र मंथन के समय कार्तिक अमावस्या को ही छीर सागर से महालक्ष्मी उत्पन्न हुई थी और भगवान श्री हरि विष्णु जी और माता लक्ष्मी का विवाह संपन्न हुआ था। तभी से दीपावली (Diwali) का त्यौहार मनाते हुए माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है। माता लक्ष्मी धन की देवी है। इसलिए हर घर में दीप जलाने के साथ साथ माता लक्ष्मी का भी पूजन अर्चन किया जाता है जिससे कि उस घर में माता लक्ष्मी का सदा निवास सदा वास बना रहे।

भगवान श्रीकृष्ण ने बचाया था

तीसरी घटना भगवान श्रीकृष्ण से जुडी हुई है। द्वापर युग में एक राक्षस नरकासुर हुआ करता था। वह बहुत ही अत्याचारी था। एक बार बस 16000 युवतियों का अपहरण कर लिया था। तब भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया और उन 16000 युवतियों को नरकासुर से मुक्त कराया था। वह दिन भी कार्तिक अमावस्या का ही दिन था। कृष्ण भक्ति धारा के लोग इसी दिन को दीपावली (Diwali) के रूप में मनाते हैं।

गुरु हरगोविंद ने 52000 राजाओं को कराया मुक्त

चौथी कहानी जुड़ी हुई है। सिख समुदाय से एक बार की बात है जब मुगल बादशाह जहांगीर ने 52000 राजाओं को ग्वालियर के किले में बंदी बना करके रखा था। उस दौरान सिखों के छठ में गुरु हरगोविंद सिंह ने अपनी शो। पूछ एवं अपनी बुद्धिमानी से उन 52000 राजाओं को जहांगीर के कैद से मुक्त कराया था। तभी से सिख समुदाय भी दीपावली (Diwali) का यह त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाने लगे।

पांचवी कथा जैन धर्म से जुड़ी हुई है। जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी को कार्तिक अमावस्या की रात को ही निर्वाण की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन भगवान महावीर के प्रमुख गिरधर गौतम स्वामी को कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसीलिए दीप और रोशनी के त्योहार दीपावली को जैन धर्म के लोग भी बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। जेल ग्रंथों के अनुसार पर भगवान महावीर स्वामी ने दीपावली वाले दिन अर्थात कार्तिक अमावस्या के दिन मुक्त में जाने से पहले आधी रात को अंतिम उपदेश दिया था, जिसे उत्तरा ध्यान सूत्र के नाम से जाना जाता है। भगवान महावीर स्वामी के मुख्य में जाने के बाद वहां मौजूद जैन धर्मावलंबियों ने दीपक जलाकर रोशनी कर करते हुए खुशियां मनाई थी। जैन धर्म के लिए यह त्यौहार विशेष रूप से त्याग और तपस्या के त्यौहार के तौर पर मनाया जाता है। इसलिए इस दिन जैन धर्मावलंबी भगवान महावीर स्वामी की पूजन विशेष रूप से करते हैं और उनके त्याग और तपस्या को याद करते हैं। सभी जैन मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।

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जैन के लिए दीपावली का है बहुत महत्व

इस तरह से इन 5 बिंदुओं को ही आधार मानकर के इस त्यौहार को इस दीपावली (Diwali) के त्यौहार को इस दीपोत्सव को बड़े ही धूमधाम से भारतवर्ष में ही नहीं अपितु देश विदेश में भी मनाया जाता है जो कि पूरे हर्षोल्लास का त्यौहार होता है। इस दिन घरों में दीपक जलाए जाते हैं। बच्चे पटाखे फोड़ते हैं और माता लक्ष्मी का विशेष पूजन अर्चन करके उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है। दीपावली के दिन माता लक्ष्मी के पूजन के अलावा भगवान श्री गणेश एवं कुबेर जी का भी पूजन अर्चन किया जाता है। भगवान श्री गणेश बुद्धि के देवता हैं। इसलिए हम भगवान श्री गणेश के सामने नतमस्तक होकर के हम उनसे प्रार्थना करते हैं कि हमें सदैव सद्बुद्धि के मार्ग की ओर ले चलें और कुबेर जी धन के देवता होने के कारण कुबेर का पूजन किया जाता है जिससे कुबेर जी की कृपा दृष्टि हम पर बनी रहे और धनसंपदा प्रचुर मात्रा में हमारे पास भरा रहे हमारा भंडार भरा रहे।

इस तरह से आपके सामने दीपावली (Diwali) मनाने के पांच तक पांच कथाएं प्रस्तुत की गई, लेकिन दीपावली मनाने के लिए जो भी कथा हो, जो भी तथ्य हो, लेकिन यह बात निश्चित है कि दीपक आनंद प्रकट करने के लिए जलाए जाते हैं। खुशियां बांटने का काम करते हैं। भारतीय संस्कृति में दीपक को सत्य एवं ज्ञान का सूचक माना जाता है क्योंकि दीपक स्वयं जलता है, लेकिन दूसरों को प्रकाश देता है। दीपक की इसी विशेषता के कारण धार्मिक ग्रंथों में दीपक को ब्रह्म स्वरूप माना गया है। यह भी मान्यता है कि दीपदान से शारीरिक एवं आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है, जहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच पाता है वहां दीपक का प्रकाश पहुंच। जाता है दीपक को सूर्य का भाग सूर्यांश संभव हो दीपक कहा जाता है।

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इसका अंत पुराण के अनुसार दीपक का जन्म यज्ञ से हुआ था। यज्ञ देवता एवं मनुष्यों के मध्य संवाद साधने का एक माध्यम है। यदि की अग्नि से जन्मे इस दीपक का पूजन विशेष महत्वपूर्ण होता है। विशेष फलदायक होता है। इसलिए आपसे एक विनती करता हूं कि दीपावली के दिन आप अपने घर में मिट्टी का बना हुआ दीपक ही जलाएं। दीपक चाहेगी का हो चाहे तेल का हो लेकिन मिट्टी का दीपक ही अपने घर में प्रज्वलित करें। बाजार में बिकने वाली इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिक लाइटों को अपने घर में ना जलाएं और अपने देश का हित सोचे हैं। इस वर्ष दीपावली के पूजन का क्या मुहूर्त है, किसने समय आपको पूजन करना है।

इसका अंत पुराण के अनुसार दीपक का जन्म यज्ञ से हुआ था। यज्ञ देवता एवं मनुष्यों के मध्य संवाद साधने का एक माध्यम है। यदि की अग्नि से जन्मे इस दीपक का पूजन विशेष महत्वपूर्ण होता है। विशेष फलदायक होता है। इसलिए आपसे एक विनती करता हूं कि दीपावली के दिन आप अपने घर में मिट्टी का बना हुआ दीपक ही जलाएं। दीपक चाहेगी का हो चाहे तेल का हो लेकिन मिट्टी का दीपक ही अपने घर में प्रज्वलित करें। बाजार में बिकने वाली इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिक लाइटों को अपने घर में ना जलाएं और अपने देश का हित सोचे हैं। इस वर्ष दीपावली के पूजन का क्या मुहूर्त है, किसने समय आपको पूजन करना है।

दीपावली कब है? (when is Deepawali?)

इस साल दीपावली 4 नवंबर को है। इस पावन दिन विधि- विधान से मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं

दिवाली पूजन शुर्भ मुहूर्त (Diwali 2021 Shubh Muhurat)

दिवाली – 4 नवंबर, 2021, गुरुवार
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – 4 नवंबर 2021 को प्रात: 06:03 बजे से।
अमावस्या तिथि समाप्त – 5 नवंबर 2021 को प्रात: 02:44 बजे तक।
दिवाली में माता लक्ष्मी पूजा मुहूर्त – शाम 6:09 मिनट से रात 8:20 मिनट तक है। पूजन समय 01 घंटे 55 मिनट है।

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