डोर टू डोर के बजाए कोविड टीकाकरण केंद्रों पर ही वैक्सीन लगाने के पक्ष में केंद्र, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जवाब

डोर टू डोर के बजाए कोविड टीकाकरण केंद्रों पर ही वैक्सीन लगाने के पक्ष में केंद्र, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जवाब

 

डोर टू डोर के बजाए कोविड टीकाकरण केंद्रों पर ही वैक्सीन लगाने के पक्ष में केंद्र, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जवाब
कोरोना वैक्सीनेशन (सांकेतिक तस्वीर )

 

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केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में डोर-टू-डोर लोगों के टीकाकरण पर कहा कि टीकाकरण कोविन में रजिस्टर्ड सरकारी और प्राइवेट कोविड टीकाकरण केंद्रों में किया जाएगा. साथ ही कहा कि कोविड -19 टीकाकरण कार्यक्रम के तहत कोविड टीकाकरण केंद्रों की चार प्रमुख आवश्यकताएं हैं, जिसमें पर्याप्त स्थान, पर्याप्त कोल्ड स्टोरेज सुविधा, पर्याप्त संख्या में वैक्सीनेटर और मेडिकल सपोर्ट स्टाफ की उपलब्धता और टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटना के प्रबंधन के लिए पर्याप्त व्यवस्था शामिल है.

 

केंद्र का ये जवाब शीर्ष अदालत के उस सवाल पर आया जिसमें कोर्ट ने पूछा कि क्या कोविड -19 टीकाकरण के लिए देशव्यापी जन जागरूकता अभियान चलाने की कोई योजना है, जिससे ग्रामीण इलाकों और वंचित वर्गों में मोबाइल वैन, वाहनों और रेलवे का उपयोग करके लोगों को उनके दरवाजे के पास टीकाकरण किया जाए ताकि कोविड -19 के साथ उनकी यात्रा और संभावित संक्रमण को कम किया जा सके.

 

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केंद्र ने अपने 218 पन्नों के विस्तृत हलफनामे में कहा कि लाभार्थी अपने घर के पिन कोड के आधार पर कोविन सॉफ्टवेयर के माध्यम से कोविड टीकाकरण केंद्र में स्लॉट बुक कर सकते हैं. साथ ही कहा कि अगर घर पर टीकाकरण होता है तो उसके बाद 30 मिनट के लिए प्रत्येक लाभार्थी की निगरानी के प्रोटोकॉल को बनाए रखना संभव नहीं है, क्योंकि प्रत्येक घर में एक या दो लाभार्थी हो सकते हैं और प्रत्येक टीकाकरण टीम के लिए प्रत्येक 30 मिनट से अधिक समय बिताना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं हो सकता है. सरकार ने कहा कि ये वास्तव में पूरे टीकाकरण अभियान में देरी करेगा.

 

इसके अलावा कहा कि वैक्सीन के लिए एक विशेष तापमान होता है, लेकिन अगर वैक्सीन को डोर टू डोर आधार पर लगाया जाता है तो वैक्सीन कैरियर बॉक्स को बार-बार खोलने की आवश्यकता होगी, जिससे इसके थ्रेसहोल्ड तापमान का उल्लंघन हो सकता है और जो इसके असर को प्रभावित भी कर सकता है.

 

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