Positive india: Covid -19 के विपरीत हालात में बाड़मेर के 2 युवा उद्यमियों ने पूरा गांव ही ले लिया गोद

Positive india: Covid -19 के विपरीत हालात में बाड़मेर के 2 युवा उद्यमियों ने पूरा गांव ही ले लिया गोद

 

ग्रामीणों से चर्चा करते उद्यमी जोगेन्द्र सिंह चौहान.

बाड़मेर. देशभर में कोविड-19 महामारी (Covid -19 Epidemic) में हर किसी को अपने घर-परिवार की चिंता है. इसी फिक्र ने हर किसी को इन हालात में बेबसी के आलम में लाकर खड़ा कर दिया है. लेकिन कुछ ऐसे भामाशाह भी है जो इस आपदा (Disaster) में खुद के परिवार के साथ लोगों के लिए फिक्रमंद हैं. सरहदी बाड़मेर जिले में ऐसे ही दो युवा उद्यमी (Two young entrepreneurs) हैं जिन्होंने एक दो परिवार नहीं बल्कि पूरे गांव को ही गोद (Adopted entire village) ले लिया है. ये युवा उद्यमी हजारों की आबादी के वाले गांव की कोविड-19 के बुरे दौर हर जरुरत को बखूबी पूरा कर रहे हैं. इनका कहना है कि इन हालात में किसी को ना भूखा सोने देंगे और ना ही किसी को इलाज की कमी आने देंगे.
जूना गांव की आबादी करीब 7 हजार की है
भारत-पाकिस्तान की सरहद पर बसे बाड़मेर जिले के जूना गांव की आबादी करीब 7 हजार की है. इस गांव को सेनेटाइज किया जा रहा है. हर दिहाड़ी मजदूर को उसके घर मे फूड पैकेट पहुंचाये जा रहे हैं. इस गांव में कोविड से संक्रमित होने वाले हर शख्स का बेहतर इलाज हो रहा है. यह सब कुछ दो युवा भाई जोगेंद्र सिंह चौहान और राजेंद्र सिंह चौहान करवा रहे हैं.
चौहान परिवार बरसों जूना गांव के सुख दुख से जुड़ा है
दरअसल जूना इन दोनों युवाओं का पैतृक गांव हैं. इन युवाओं के पिता तनसिंह चौहान समाजसेवी रहे थे. वे सामाजिक सरोकारों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे. लेकिन कुछ समय पहले तन सिंह चौहान का निधन हो गया. उनके निधन के बाद दोनों बेटे जोगेंद्र सिंह चौहान और राजेंद्र सिंह चौहान ने समाज सेवा का दामन थाम लिया. अब कोविड-19 के कारण पैदा हुये विपरीत हालात में इन्होंने अपना पूरा गांव ही सेवा की दृष्टि से गोद ले लिया है. अब गांव के लोग बिना किसी चिंता फिक्र के अपने गांव में है. गांव की सुरक्षा के लिए चौहान भाइयों के लोग मुस्तैद नजर आ रहे हैं. ग्रामीण बताते हैं कि बरसों से चौहान परिवार इस गांव के दुःख दर्द से जुड़ा हुआ है और इस महामारी में भी बदस्तूर साथ खड़ा है.
450 ऑक्सीजन सिलेंडर प्रशासन को सौंप चुके हैं
ऐसा नहीं है कि चौहान बंधुओं ने महज पैसे देकर गांव की जरुरतों को पूरा करके इतिश्री कर ली है. बकायदा दोनों भाइयों में से हर कोई अपने बिजी शेड्यूल में से वक्त निकालकर इस गांव पहुंचते हैं और ग्रामीणों से तसल्ली से बातचीत कर गांव के कुशलक्षेम पूछते हैं. ये चौहान बंधु कोविड के हालात में जिला प्रशासन को करोड़ों रुपए की मदद दे चुके हैं. खुद की तरफ से 450 ऑक्सीजन सिलेंडर देने का अहम काम कर चुके हैं. उसके बाद अब अपने गांव को गोद ले लिया है.

 

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