Madhya Pradesh Forest की सभी जानकारी हिन्दी में


Madhya Pradesh Forest की सभी जानकारी हिन्दी में


एमपी वन 

एक क्षेत्र जहां वृक्षों का घनत्व अत्यधिक रहता है उसे वन
कहते हैं। वन अधिनियम 1927 के अनुसार वह भू-मंडल
का वह भाग जो वृक्षों से ढका हुआ है वन कहलाता है।
भारत में वन संसाधनों की आंकलन की वन स्थिति
रिपोर्ट 2019 वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 30
दिसंबर 2019 को जारी की गई है। देश में सबसे बड़ा
वन क्षेत्र मध्य प्रदेश में है, जहां इसका रकबा 77,482
वर्ग किलोमीटर है। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश 66,688
वर्ग किलोमीटर तथा छत्तीसगढ़ 55,611 वर्ग किलोमीटर
आते हैं। प्रतिशत के अनुसार सबसे अधिक वनों का दायरा
90.33% लक्षदीप में है। इसके बाद 85.41% के
साथमिजोरम का स्थान आता है। यह द्विवार्षिक रिपोर्ट
भारतीय वन सर्वेक्षण संस्थान देहरादून द्वारा तैयार
की जाती है। भारत वन रोपण 2019 श्रंखला की सोलवीं
रिपोर्ट है। यह रिसोससेट 2 उपग्रह के संवेदी आंकड़े
एलआईएसएस 3 पर आधारित है। वन स्थिति रिपोर्ट
2019 के अनुसार मध्य प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल
का 25.14% वन क्षेत्र है। भारतमें कुल वन आवरण
7,12,249 वर्ग किलोमीटर है जो कि देश के कुल 1
क्षेत्र का 21.67% है। 

मध्य प्रदेश में वनों का घनत्व राज्य में एक समान
नहीं है। सीधी, श्योपुर, हरदा, शहडोल, छिंदवाड़ा,
सिवनी, बैतूल, डिंडोरी, मंडला, बालाघाट जिलो में
घने वन दिखाई देते हैं। राज्य के ज्यादातर वन पूर्वी
और दक्षिणी इलाके में बसे हुए हैं। पन्ना और श्योपुर
उल्लेखनीय अपवाद रहे हैं। वनों की स्थिति 2019 के
अनुसार इस प्रकार है- 


ग्रीन वॉश के अंतर्गत वनावरण – 

अत्यंत सघन वन 6,259 वर्ग किलोमीटर
सामान्य सघन वन 30,270 वर्ग किलोमीटर
खुले वन 8,223 वर्ग किलोमीटर
कोई योग 64,752 वर्ग किलोमीटर

ग्रीन वॉश के बाहर वनावरण – 

अत्यंत सघन वन 414 वर्ग किलोमीटर
सामान्य सघन वन 4145 वर्ग किलोमीटर
खुले वन 8,376 वर्ग किलोमीटर
कोई योग 12,935 वर्ग किलोमीटर
कुल वनावरण 77,482 वर्ग किलोमीटर
वृक्ष आवरण 8,339 वर्ग किलोमीटर
कुल वनावरण एवं वृक्ष आवरण 85,821 वर्ग किलोमीटर
राज्य के भौगोलिक वन क्षेत्र का 27.84%

अभिलिखित वन क्षेत्र – 

आरक्षित वन 61,886 वर्ग किलोमीटर
संरक्षित वन 31,098 वर्ग किलोमीटर
अवर्गीकृत वन 1,705 वर्ग किलोमीटर
कुल 94,689 वर्ग किलोमीटर
राज्य के भौगोलिक क्षेत्र को 30.72%

सर्वाधिक वन क्षेत्र वाले जिले  (2019)

बालाघाट 4932.06 वर्ग किलोमीटर
छिंदवाड़ा 4588.01 वर्ग किलोमीटर
बैतूल 3663.70 वर्ग किलोमीटर
श्योपुर 3460.00 वर्ग किलोमीटर
सिवनी 3069.59 वर्ग किलोमीटर

न्यूनतम वन चित्र वाले जिले (2019)

उज्जैन 36.22 वर्ग किलोमीटर
रतलाम 59.85 वर्ग किलोमीटर
शाजापुर (अविभाजित) 63.35 वर्ग किलोमीटर
भिंड 106.70 वर्ग किलोमीटर
राजगढ़ 172.09 वर्ग किलोमीटर

सर्वाधिक वन प्रतिशत वाली जिले (2019)

बालाघाट  53.44%
श्योपुर  52.38%
उमरिया  49.62%
मंडला  44.44%
डिंडोरी / सीधी  40.59%

न्यूनतम वन प्रतिशत वाले जिले 2019

 उज्जैन  0.59%
 शाजापुर (अविभाजित) 1.02%
 रतलाम  1.23%
 भिंड  2.39%
 राजगढ़  2.80%


पर्यावरणीय दृष्टि से 33% वनों का होना आवश्यक है।
मध्यप्रदेश देश का सर्वाधिक वनाच्चादीत राज्य है। मध्य
प्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 3,08,252 वर्ग
किलोमीटर में से 94.69 वर्ग किलोमीटर पर वन क्षेत्र है।
राज्य के कुल वनक्षेत्र का 65% आरक्षित वन, 
36% संरक्षित वन एवं 2% क्षेत्रफल अवर्गीकृत वनों के
अंतर्गत आता है। राज्य के कुल 52 जिलों को 16 क्षेत्रीय
वन वृत्त तथा 62 क्षेत्रीय वन मंडल में विभाजित किया
गया है। राज्य में कुल 925 वन ग्राम है, जिनमें 98 ग्राम
राष्ट्रीय वन उद्यानो, अभयारण्यो में स्थित, वीरान अथवा
विस्थापित है। 


मध्यप्रदेश में उष्णकटिबंधीय वन पाए जाते हैं। कर्क रेखा
से 23 ऊपर तथा नीचे वाले क्षेत्र को उष्णकटिबंधीय कहा
जाता है। मध्य प्रदेश में कुल भू क्षेत्रफल का लगभग 35%
वन क्षेत्र के अंतर्गत है, मध्यप्रदेश में 8697 हेक्टेयर वन
भूमि है। मध्यप्रदेश में सर्वाधिक वन वृक्ष सागोंन है। दूसरे
स्थान पर साल वन है। मध्यप्रदेश में साल बोरर लगने से
10 लाख पेड़ो को काटना पड़ा था। 


मध्य प्रदेश के वन संस्थान

वन अनुसंधान संस्थान देहरादून का क्षेत्रीय कार्यालय
मध्यप्रदेश के जबलपुर में स्थित है। इंडियन इंस्टीट्यूट
आफ फॉरेस्ट मैनेजमेंट भोपाल में है। प्रदेश के बालाघाट
में “वन राज्य महाविद्यालय” की स्थापना (1979) की
गई है। प्रदेश का दूसरा बने राजकीय महाविद्यालय
1980 में बैतूल में स्थापित किया गया।

मध्य प्रदेश के शिवपुरी में प्रादेशिक वन स्कूल स्थापित है।
प्रदेश के शिवपुरी, अमरकंटक, गोविंदगढ़ व लखनादौन में 
वनपाली व वन संरक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाता है। वन
पहरेदारों का ट्रेनिंग स्कूल प्रदेश के बैतूल तथा रीवा में है।
वनों का शत-प्रतिशत राष्ट्रीयकरण करने वाला देश का
प्रथम राज्य मध्यप्रदेश है।

प्रदेश में वनों का राष्ट्रीयकरण वर्ष 1970 में किया गया।
प्रदेश में वनों के राष्ट्रीयकरण के तहत सर्वप्रथम
“तेंदूपत्ता” का राष्ट्रीयकरण किया गया था। सर्वाधिक
आरक्षित वन खंडवा वन वृत्त में है। उज्जैन वन वृत्त में
सबसे कम आरक्षित वन है। संरक्षित वन सर्वाधिक
इंदौर वन वृत्त में तथा सबसे कम संरक्षित वन खंडवा
वन वृत्त में है।

मध्य प्रदेश वन विकास निगम की स्थापना 1975 में की
गई।  सबसे कम वन होशंगाबाद वन वृत्त में है। मध्य
प्रदेश के होशंगाबाद जिले में साल वृक्षों की सघनता
अधिक है। मध्यप्रदेश शासन की पहली वन नीति सन
1952 में बनी थी तथा दूसरी वन नीति 2005 में बनी।
मध्यप्रदेश देश का कुल लकड़ी उत्पादन में 20%
योगदान करता है।

मध्यप्रदेश में उष्णकटिबंधीय वन

1.उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन
 यह वन पानी की कमी होने पर पत्ते गिरा देते हैं यह वन
औसत वर्षा 50 से 100 सेमी. हो, वह पाए जाते हैं। ये वन
इमारती लकड़ी सागोन, शीशम, नीम, पीपल आदि के
लिए प्रसिद्ध है। यह वन प्रदेश के वन क्षेत्र के सर्वाधिक
भाग पर पाए जाते हैं। यह वन प्रदेश के सागर,
जबलपुर, दमोह, छिंदवाड़ा, पन्ना, छतरपुर, होशंगाबाद,
सिवनी आदि जिलों में पाए जाते हैं।

2.उष्णकटिबंधीय अद्ध पर्णपाती वन
 ये वन 100 – 150 सेमी. वर्षा वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
यह वन पूर्ण पत्तों को नहीं गिराते हैं, इनमें सागोन,
साल, वास मुख्यता पाए जाते हैं। यह वन प्रदेश के मंडला,
बालाघाट, शहडोल, सीधी आदि जिलों में पाए जाते हैं।

3.उष्णकटिबंधीय शुष्क वन
यह वन 75 सेमी. से कम वर्षा वाले क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
इन वनों को कटीले वन भी कहते हैं। हर्रा, बबूल, शीशम,
किकर, पलाश, तेंदू, धीरा इनकी मुख्यता प्रजाति है। यह
वन प्रदेश के शिवपुरी, भिंड, मुरैना, ग्वालियर, रतलाम
आदि जिलों में पाए जाते हैं।








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