मंगल पर मिले सक्रिय ज्वालामुखी की मौजूदगी के सबूत! जानें अब कैसे लाल ग्रह पर जीवन की संभावना बढ़ी

मंगल पर मिले सक्रिय ज्वालामुखी की मौजूदगी के सबूत! जानें अब कैसे लाल ग्रह पर जीवन की संभावना बढ़ी

 

मंगल पर मिले सक्रिय ज्वालामुखी की मौजूदगी के सबूत! जानें अब कैसे लाल ग्रह पर जीवन की संभावना बढ़ी
मंगल ग्रह पर मौजूद ज्वालामुखी (NASA)

 

मंगल ग्रह (Mars) को लेकर हुए नए ऑब्जर्वेशन से पता चला है कि यहां मौजूद ज्वालामुखी अभी भी सक्रिय (Volcanically active) हो सकते हैं. इससे मंगल की सतह के नीचे रहने योग्य परिस्थितियों की संभावना बढ़ रही है. ‘यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना’ के लूनर एंड प्लैनेटरी लेबोरैटरी और ‘प्लैनेटरी साइंस इंस्टीट्यूट’ के रिसर्चर्स द्वारा किए गए एक नए शोध में बताया गया है कि मंगल ग्रह पर हाल की ज्वालामुखी गतिविधि के सबूतों से पता चलता है कि पिछले 50,000 सालों में ग्रह पर ज्वालामुखी से विस्फोट हुए होंगे.

 

अभी तक माना जा रहा था कि लाल ग्रह पर अधिकतर ज्वालामुखीय गतिविधियां करीब तीन से चार अरब साल पहले हुई थीं. हालांकि, इस बात के सबूत हैं कि ग्रह के कुछ इलाकों में करीब 30 लाख साल पहले कुछ छिट-पुट ज्लावामुखी विस्फोट देखने को मिले. लेकिन वर्तमान समय से पहले तक इस बात के सबूत नहीं थे, जो इस ये इशारा करें कि मंगल के ज्वालामुखी सक्रिय रहे होंगे. अब इस स्टडी से इस बात की चर्चा शुरू होने लगी है कि अगर ऐसा हुआ है तो मंगल पर जीवन को बनाए रखने के लिए परिस्थितियां मौजूद रही होंगी.

 

सैटेलाइट के डाटा से मिली जानकारी

रिसर्चर्स ने मंगल ग्रह के चारों ओर चक्कर लगा रहे सैटेलाइट के जरिए इकट्ठा किए गए डाटा का प्रयोग किया. उन्होंने इस डाटा के जरिए अज्ञात ज्वालामुखी गतिविधियों का पता लगाया. रिसर्चर्स ने अपने नतीजों को इकारस जर्नल में ‘मंगल के एलिसियम प्लैनिटिया में भूगर्भीय रूप से हाल के ज्वालामुखी विस्फोट के सबूत’ नाम से एक पेपर को पब्लिश किया है. इस स्टडी का नेतृत्व करने वाले लेखक डेविड हॉरवार्थ ने कहा, ये मंगल ग्रह पर अब तक हुआ सबसे कम उम्र का ज्वालामुखी विस्फोट हो सकता है.

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विस्फोट के बाद सतह पर बहता होगा लावा

इस स्टडी के सह-लेखक जेफ एंड्रयूज-हन्ना ने कहा कि जब हमें पहली बार इस ज्वालामुखी विस्फोट के बारे में पता चला तो हम समझ गए कि ये बेहद खास है. अभी तक इस लाल ग्रह पर ऐसा कुछ नहीं देखा गया था. इससे चंद्रमा और बुध पर हुए ज्वालामुखी विस्फोट के फीचर के बारे में भी पता चला. बता दें कि मंगल के एलिसियम प्लैनिटिया क्षेत्र समेत ग्रह के अन्य हिस्सों में हुए विस्फोट के बाद लावा सतह पर बहने लगा होगा. हालांकि, मंगल पर बहुत से ज्वालामुखीय विस्फोटों की जानकारी है, लेकिन ये बहुत ही लंबे समय पहले हुए थे.

 

माइक्रोबियल जीवन के लिए अनुकूल होंगी परिस्थितियां

डेविड हॉरवार्थ ने कहा कि ज्वालामुखी विस्फोट के बाद निकलने वाले पदार्थ ने इस बात की संभावना को बढ़ाया है कि हाल के सालों में मंगल की सतह के नीचे जीवन मौजूद रहा होगा. उन्होंने कहा, ज्वालामुखी से निकलने वाला मैग्मा और एलिसियम प्लैनिटिया में मौजूद बर्फीली परत ने माइक्रोबियल जीवन के लिए सहायक परिस्थितियां प्रदान की होंगी. ये जीवन हाल के सालों में ही मौजूद रहा होगा. हॉरवार्थ ने कहा कि इस क्षेत्र में हो सकता है कि अभी भी जीवन मौजूद हो.

 

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