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Corona News: इन मरीजों की कोरोना से जंग की कहानी आपके हौसले को बढ़ाने में करेगी मदद

 

हौसले के दम पर जीती कोरोना की जंग. (सांकेतिक चित्र)
सांकेतिक चित्र

नई दिल्ली. देश में कोरोना संक्रमित मरीजों (Corona Infected Patient) की संख्‍या 4 लाख के पार पहुंच गई है. कोरोना (Corona) संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्‍या के साथ मृतकों का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है. हर दिन किसी न किसी जानकार की मौत की खबर लोगों को डरा रही है. इन सब के बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपने हौसले के दम पर इस महामारी को मात दे रहे हैं. आज हम ऐसे ही कुछ जांबाज लोगों की कहानी आपके सामने लाए हैं जिसे पढ़ने के बाद हर किसी को कोरोना की जंग लड़ने की हिम्‍मत आ जाएगी.

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दो बार हुए कोरोना संक्रमित, दोनों बार दे चुके प्लाज्मा

गोकुलपुरी के गंगा विहार में रहने वाले दिनेश तिवारी और उनकी पत्‍नी सविता तिवारी अक्‍टूबर 2020 में कोरोना पॉजिटिव हुए थे. फैमिली में दहशत का माहौल बन गया. इसके बाद उन्‍होंने डॉक्‍टरों की ओर से बताए गए सभी नियमों और दवाओं का सेवन किया. पांच-छह दिन बाद सब सामान्य हो गया. पूरी तरह से ठीक होने के बाद दिसंबर में उन्‍होंने गंगाराम अस्पताल में जाकर प्लाज्मा डोनेट किया. इसके बाद फरवरी में उन्‍हें फिर कोरोना के लक्षण दिखाई दिए. डॉक्टरों की सलाह पर वह घर में ही आइसोलेट हो गए. दवाइयां समय पर लते हुए उन्‍होंने एक बार फिर कोरोना को हराया और 26 अप्रैल को जनकपुरी स्थित माता चानन देवी अस्पताल में प्लाज्मा डोनेट करके आ गए हैं. उन्होंने बताया कि दो बार कोरोना होने और दो बार प्लाज्मा डोनेट करने के बावजूद वह तंदुरुस्त महसूस कर रहे हैं. उन्‍होंने लोगों से प्लाज्मा डोनेट करने की भी अपील की है.

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100 साल की उम्र में कोरोना को हरा कर बनाई मिसाल

दिल में जोश हो तो किसी भी उम्र में बड़ी से बड़ी बीमारी को भी हराया जा सकता है. फरीदाबाद के पाली गांव निवासी भरपाई देवी ने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. 100 साल की उम्र में भरपाई देवी कोरोना पॉजिटिव हो गई थीं. एक फेफड़ा खराब होने के बाद भी उन्‍होंने हिम्‍मत नहीं हारी और कोरोना को हराकर अब वह स्‍वस्‍थ जीवन बिता रही हैं. बता दें कि 31 मार्च को सांस लेने में दिक्‍कत होने के बाद भरपाई देवी को अस्‍पताल में भर्ती कराया गया था. जांच में भरपाई देवी कोरोना पॉजिटिव निकलीं. अस्पताल के सांस रोग विशेषज्ञ डॉ. मानव मनचंदा ने बताया कि महिला को लगभग 45 साल पहले टीबी हुआ था, जिसके चलते उनका एक फेफड़ा खराब हो गया था. उन्‍हें तुरंत आईसीयू में भर्ती कराया गया और डॉक्‍टर उन पर नजर बनाए हुए थे. लगभग एक सप्ताह बाद उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ गई. 7 अप्रैल को उन्हें आईसीयू से निकाल लिया गया और 9 अप्रैल को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.

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खुद को कोरोना से लड़ने के लिए तैयार की और उसे हरा दिया

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दिल्‍ली के रहने वाले अखिलेश आरोड़ा को 5 अप्रैल को पता चला कि वह कोरोना पॉजिटिव हैं. अखिलेश ने कहा जब कभी भी मुझे कोई बीमारी होती है तो सबसे पहले मैं खुद देखता हूं कि इसे कैसे ठीक किया जा सकता है. हालांकि कोरोना संक्रमित होने के बाद मुझे तेज बुखार हुआ और बदन दर्द, छाती में कफ, गंध चली गई थी. अखिलेश ने इसके बाद बिना डरे बीमारी को समझना शुरू किया. वह बताते हैं, सबसे पहले मैंने माना कि यह बीमारी मुझे हुई है और अब मुझे मेरे शरीर को सुनना है. उन्‍होंने कहा सबसे पहले मैंने निगेटिव विचार को खत्‍म किया. इसके बाद जिंदगी की छोटी-बड़ी टेंशन दूर की, जिससे मैं परेशान हूं. मैं कह सकता हूं कि सोच एक थेरेपी है. अखिलेश ने कहा कि अगर आप दवाईयां इमानदारी से लेते हैं और सांस की एक्‍सरसाइज करते रहते हैं तो आप जल्‍द ही इस बीमारी से उबर सकते हैं.

 

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