Oxford AstraZeneca Covid-19 Vaccine: ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन से जानलेवा ढंग से खून के थक्के बनने की खबरों से ब्रिटेन सतर्क हो गया है. ब्रिटेन फैसला लिया है कि 40 से कम उम्र के लोगों को यह वैक्सीन नहीं लगाई जाएगी. सावधानी बरतते हुए इसकी जगह दूसरी कोरोना वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाएगा. ब्रिटेन के मेडिसिन रेग्युलेटर्स ने शुक्रवार को अपनी सिफारिश में संशोधन किया है.
वैक्सीनेशन एंड इम्युनाइजेशन की संयुक्त कमेटी (JCVI) ने पहले सलाह दी थी कि 30 साल से कम उम्र के लोगों को यह वैक्सीन न लगाई जाए. मगर बेहद दुर्लभ ब्लड क्लॉट (खून के थक्के) की खबरों के बीच उन्होंने यह नई सिफारिश जारी की है. ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को भारत में कोविडशील्ड (Covidshield) के नाम से बनाया जा रहा है. संयुक्त कमेटी ने माना है कि हालांकि इस वैक्सीन के कई फायदे हैं, लेकिन युवाओं में खून के थक्के जमने का खतरा ज्यादा है.
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कोरोना की दूसरी वैक्सीन लगवाएं युवा
JCVI ने अपनी सिफारिश में कहा है, ’30 से कम उम्र और 30 से 39 साल के लोग कोविड-19 से ज्यादा जोखिम में नहीं हैं. इन लोगों को एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन की जगह कोई दूसरी वैक्सीन दी जानी चाहिए. जहां पर कोई अन्य विकल्प न हो, वहां पर बिना देरी किए इस वैक्सीन का इस्तेमाल कर सकते हैं. 18 से 29 साल के लोगों के लिए वैक्सीन चुनने का अधिकार होना चाहिए.’
अब तक सिर्फ 242 मामले
मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रॉडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (MHRA) के आंकड़े दिखाते हैं कि 28 अप्रैल तक सिर्फ 243 ब्लड क्लॉट के मामले ही सामने आए हैं और जिनकी ब्लड प्लेटलेट्स कम हुई हैं. जबकि 2.8 करोड़ से ज्यादा लोग इस वैक्सीन को ले चुके हैं. 40 साल से ज्यादा की उम्र के लोगों में खून के थक्के जमने का जोखिम 1 लाख में से महज एक ही है. लेकिन 30 से 40 साल की उम्र वाले वर्ग में यह घटकर 60 हजार लोगों में एक हो रहा है. माना जा रहा है कि कोविड-19 के खतरनाक होने का खतरा उम्र के साथ कम भी हो जाता है.
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