ऊर्जा स्त्रोत की जानकारी
मध्य प्रदेश ऊर्जा संसाधनों की दृष्टि से संपन्न राज्य है, लेकिन उनके दोहन के मामले में पिछड़ा हुआ है। किसी भी देश या प्रदेश की उन्नति में उसके ऊर्जा स्त्रोत मुख्य आधार तत्व माने जाते हैं। मध्य प्रदेश में 10 दिसंबर 1948 को विद्युत प्रदाय अधिनियम लागू किया गया। 1 दिसंबर 1950 को विद्युत मंडल का गठन किया गया। 1 अप्रैल 1957 को मध्य प्रदेश राज्य की स्थापना विद्युत क्षमता मात्र 81.5 मेगावाट थी।
राज्य में सबसे पहले ग्वालियर में 1905 में 240 के वी की स्टीम टरबाइन से विद्युत उत्पादन प्रारंभ हुआ था। इंदौर में 1906 में सवा ₹200000 की लागत से विद्युत उत्पादन संयंत्र के निर्माण का कार्य प्रारंभ किया गया था। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2018 – 19 के अनुसार वित्त वर्ष 2017 – 18 में कुल विद्युत प्रदाय 66359 मिलियन यूनिट किया गया, जिसमें इंदिरा सागर परियोजना से 837 मिलियन यूनिट, सरदार सरोवर परियोजना से 519 मिलियन यूनिट उत्पादन तथा मध्य प्रदेश विद्युत उत्पादन कंपनी द्वारा कुल विद्युत प्रदाय 18105 मिलियन यूनिट है।
प्रदेश में दो प्रकार के ऊर्जा संसाधन हैं। एक परंपरागत ऊर्जा स्त्रोत तथा दूसरा गैर परंपरागत ऊर्जा स्त्रोत है। परंपरागत ऊर्जा स्त्रोत – कोयला, विद्युत (ताप, जल), परमाणु ऊर्जा, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस। गैर परंपरागत ऊर्जा स्त्रोत – पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, बायोगैस, बुड़ी बायोगैस, बायोडीजल। कॉल आधारित अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट, सिंगरौली दूसरी यूनिट 28 जनवरी 2014 में प्रारंभ हुई। 660 में से 233 मिनट मध्य प्रदेश को मिलेगी। मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम की स्थापना 1982 में की गई।
मध्यप्रदेश में जल विद्युत केंद्र, स्थिति तथा उत्पादन
- गांधी सागर (चंबल नदी) विद्युत केंद्र, मंदसौर जिले की भानपुरा तहसील में स्थित है। यह पर 115 मेगावाट का उत्पादन होता है। मध्य प्रदेश को 57.7 मेगावाट विद्युत मिलती है।
- राणा प्रताप सागर (चंबल नदी) विद्युत केंद्र, राजस्थान चित्तौड़गढ़ में रावतभाटा में चोलिया प्रताप के पास बना है। यह पर 172 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है, जिसमें मध्य प्रदेश को 86 मेगावाट विद्युत मिलती है।
- पेंच जल विद्युत केंद्र, महाराष्ट्र में स्थित है। यह 160 मेगावाट विद्युत उत्पादन होता है, जिसमें से मध्य प्रदेश को 160 मेगावाट विद्युत मिलती है।
- जवाहर सागर या कोटा (राजस्थान) (चंबल) विद्युत केंद्र, यह गांधी वाराणसी द्वारा छोड़े गए पानी का उपयोग करता है यह 99 मेगावाट विद्युत उत्पादन होता है। जिसमें से 49.5 मेगावाट मध्य प्रदेश को विद्युत मिलती है।
- बरगी परियोजना (रानी अवंती बाई) विद्युत केंद्र, यह जबलपुर बिजौरा ग्राम में बरगी नदी पर निर्मित है। यह पर 90 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है।
- बाणसागर (टोंस ग्रह) क्रमांक-2, क्रमांक-3 विद्युत केंद्र। यह सिरमौर, रीवा, गोविंदगढ़, सीधी में स्थित है। यह 345 मेगावाट, 40 मेगावाट, 30 मेगावाट का उत्पादन होता है।
- बीरसिंहपुर विद्युत केंद्र, यह उमरिया में स्थित है। यह 20 मेगावाट का उत्पादन होता है।
- राजघाट विद्युत केंद्र, ललितपुर (उत्तर प्रदेश) में स्थित है। 22.5 मेगावाट का उत्पादन होता है। जिसमें से मध्य प्रदेश को कुल 4 मेगावाट मिलती है।
- चांदेल प्रोजेक्ट निर्माणाधीन विद्युत केंद्र, खंडवा में स्थित है। यह 15 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है।
- महेश्वर जल विद्युत केंद्र, महेश्वर (खरगोन) में स्थित है 450 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है।
- ओमकालेश्वर जल विद्युत केंद्र, ओमकारेश्वर (खंडवा) में स्थित है। यह पर 520 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है।
- इंदिरा सागर विद्युत केंद्र, पुनासा (खंडवा) में स्थित है। यह 1000 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है।
- मालीखेड़ा जल विद्युत योजना (मोहनी सागर)। यह शिवपुरी में स्थित है। यह पर 60 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है। यह निर्माणाधीन है।
मध्यप्रदेश में ताप विद्युत केंद्र, स्थिति व क्षमता
- सतपुरा-I, सतपुड़ा-II, सतपुड़ा-III विद्युत तापी केंद्र। यह बैतूल जिले के पातरखेड़ा में स्थित है। यहां पर 312.5 मेगावाट (मध्य प्रदेश को 187.5 मेगावाट), 410 मेगावाट, 420 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है।
- संजय गांधी बीरसिंहपुर-I, संजय गांधी बीरसिंहपुर-II संजय गांधी बीरसिंहपुर-III ताप विद्युत केंद्र। यह उमरिया जिला के बीरसिंहपुर में स्थित है। यह पर 420 मेगावाट, 420 मेगावाट, 500 मेगावाट का उत्पादन होता है।
- अमरकंटक-I तापीय केंद्र, शहडोल के सोहागपुर कोयला क्षेत्र में स्थित है। यह 50 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है। अमरकंटक-II उमरिया में स्थित है। यह पर 240 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है।
- विंध्याचल ताप विद्युत केंद्र, बैढ़न (सिंगरौली) में स्थित है। यह 4760 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है।
- चांदनी चौक (बुरहानपुर) विद्युत केंद्र, नेपानगर कागज कारखाने हेतु स्थित है। यह 17 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है।
- जबलपुर ताप विद्युत गृह, जबलपुर में स्थित है। यह 44 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है।
- पेंच ताप विद्युत केंद्र, छिंदवाड़ा में स्थित है। यह 210 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है।
- बिना ताप विद्युत गृह, सागर में स्थित है। यह 1000 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है।
- मालवा ताप विद्युत गृह, खंडवा में स्थित है। यह पर 2000 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होता है।
विद्युत उत्पादन क्षेत्र व क्षमता
- म. प्र. पावर जनरेटिंग कंपनी के विद्युत ताप गृह की क्षमता 4740 मेगावाट है।
- केंद्रीय विद्युत उत्पादन क्षेत्र एवं उत्तरी क्षेत्र से प्राप्त अंश की क्षमता 3678 मेगावाट है।
- अपारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत एवं अन्य की क्षमता 3502 मेगावाट है।
- निजी क्षेत्र के ताप विद्युत गृह से प्राप्त अंश की क्षमता 3397 मेगावाट है।
- संयुक्त उपक्रम जल परियोजना (नर्मदा प्रोजेक्ट) की क्षमता 2426 मेगावाट है।
- म. प्र. पावर जनरेटिंग कंपनी के जल विद्युत गृह की क्षमता 917 मेगावाट है।
- विद्युत उत्पादन की कुल क्षमता 18660 मेगावाट है।