Crew-1 167 Days Mission: धरती और अंतरिक्ष (Earth and Space) के बीच की दूसरी अब इंसान ने खत्म कर दी है लेकिन इन दोनों ही जगह पर रहने का अनुभव और तरीका बिल्कुल अलग है. इसी बात की जानकारी कुछ अंतरिक्षयात्रियों ने दी है, जिन्होंने अंतरिक्ष में 167 दिन बिताए हैं. इनमें से एक का कहना है, ‘मैं काफी भारी महसूस कर रहा हूं.’ ये चारों 2 मई तो अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से वापस धरती पर लौटे हैं. सभी स्पेसएक्स के विमान से फ्लोरिडा के पनामा शहर के तट के पास मैक्सिको की खाड़ी में रात के समय उतरे.
अब इन्होंने एक दिन पहले अपने अनुभव साझा किए हैं. क्रू-1 नामक ग्रुप के अंतरिक्षयात्रियों में से एक विक्टर ग्लोवर ने गुरुवार को कहा कि एक वक्त तो ऐसा भी आया, जब उन्होंने खुद से सांस लेने को कहा. 167 दिन की ये यात्रा इसलिए भी खास थी क्योंकि ये अमेरिका का अब तक का सबसे लंबा (Long Mission of NASA) मिशन था, इससे पहले 1974 में 84 दिन का अभियान चला था. इन चार अंतरिक्षयात्रियों में से तीन अमेरिकी और एक जापानी है, सभी ने नवंबर महीने में अमेरिका के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से ‘रीसाइलेंस’ कैप्सूल से उड़ान भरी थी.
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‘वो सब चुनौतीपूर्ण होगा’
ग्लोवर ने कहा, ‘मैं बस खुद से कह रहा था कि सांस लो. सांस छोड़ो क्योंकि मैं काफी भारीपन महसूस कर रहा था. मैं उन कार्टून की तरह महसूस कर रहा था, जब वो जी (गुरुत्वाकर्षण त्वरण) अनुभव करते हैं, तो हमारा चेहरा मुरझा सा जाता है.’ उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे उम्मीद थी कि वो सब चुनौतीपूर्ण होगा, लेकिन जैसा असल में हुआ उसे देखकर मुझे लगता है कि जितना मैं सोच रहा था ये उससे थोड़ा कम था तो मैंने वहां काफी एंजॉय भी किया. एक्सीलिरेशन का वजन मुख्य रूप से अंतरिक्षयात्री की छाती पर केंद्रित होता है, इसलिए सांस लेने में तकलीफ होती है. हालांकि लॉन्च और एंट्री सबसे अनोखा अनुभव था.’
‘मजेदार थी पानी में लैंडिंग’
एक अन्य अमेरिकी अंतरिक्षयात्री शैनन वॉकर ने कहा, ‘पानी में लैंडिंग होना काफी मजेदार था क्योंकि हममें से किसी ने भी नहीं सोचा था कि क्या होने वाला है, लेकिन मैं अपनी ओर से इतना कह सकती हूं कि यह जमीन पर लैंड होने से थोड़ा सॉफ्ट था.’ जापानी अंतरिक्षयात्री (Astronauts) सोइची नोगुची ने भी लैंडिंग को अच्छा बताया और कहा, ‘उसका प्रभाव काफी काफी कम था. हम लहरों को महसूस कर रहे थे, हम वॉटर प्लैनिट पर वापस लौट आए थे… और वही सबसे अच्छा अनुभव था.’
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