40 करोड़ के प्लान का हिस्सा : स्मार्ट सिटी ने सप्रे शाला मैदान और बूढ़ा तालाब के लिए करीब 40 करोड़ की एक बड़ी कार्ययोजना बनाई है। जिसके तहत कार्ययोजना बनाई है। जिसके तहत बूढ़ा तालाब के पहले चरण का काम पिछले महीने में पूरा हुआ है। मुहातालाब के साथ साथ सप्रे शाला मैदान का काम भी पूरा होना था। बूढ़ा तालाब में अब दूसरे चरण के काम तालाब के दूसरे हिस्से को री डेबलप किया जाना है। इसके साथ ही यहां 18 करोड़ का एसटीपी यानी सीबरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी लगाया जाना है…
एक माह से ज्यादा पिछड़ गया है ये प्रोजेक्ट
इससे अब ये प्रोजेक्ट पूरे पूरे एक महीने से ज्यादा बकत के लिए पिछड़ गया है। स्मार्ट सिटी मिशन की केंद्रोय शहरी मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक स्मार्ट सिटी के किसी भी प्रोजेक्ट में वर्क ऑर्डर लेने के बाद कोई भी एजेंसी एक माह से अधिक की देरी करे तो उससे फाइन वसूल किया जा सकता है। कोरोना काल में स्मार्ट सिटी के आधा दर्जन से ज्यादा कामों में एजेंसियों ने वर्क ऑर्डर तो ले लिया लेकिन काम शुरु नहीं किया। इसमें तेलीबांधा श्यामनगर का 5 करोड़ का स्मार्ट ड्रेनेज सिस्टम, 10 करोड़ का शास्त्री बाजार जैसे प्रोजेक्ट भी हैं।
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जांच पड़ताल में पता चला है कि एजेंसी पर दबाव बनाने में स्मार्ट सिटी प्रबंधन हमेशा कमजोर साबित हो रहा है। जिसके चलते 16 करोड़ का जवाहर बाजार, 23 करोड़ की मल्टीलेवल पार्किंग जैसे प्रोजेक्ट अब भी अधूरे हैं। 5 करोड़ रुपए की स्मार्ट कोतबाली का काम अब भी चल ही रहा है।
दो दशक में आधा दर्जन से ज्यादा प्लान करोड़ों खर्च, सब ध्वस्त
स्मार्ट सिटी के अस्तित्व में आने से फ्लले नगर निगम ने भी यहां कई सारे प्रयोग किए। कभी यहां सौंदर्यीकरण किया गया ते कभी मैदान को संवारने का काम। आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे करोड़ों रुपए के प्लान पहले भी चौपट हो चुके हैं। इतना ही नहीं सप्रे मैदान के सामने स्मार्ट सिटी ने इस साल की शुरूआत में स्मार्ट पार्किग, शेयरिंग साइकिल और ई रिक्शा साइकिल चार्जिंग जैसे प्रोजेक्ट लांच करने की योजना भी बनाई, लेकिन बाद में इनमें से भी कोई प्लान परवान नहीं चढ़ सका।
उसके बाद इसे दोबारा तोड़कर नए सिरे से बनाने का ये प्लान लाया गया। स्मार्ट सिटी का दावा कर रही है कि यहां इंटरनेशनल लेबल का ग्राउंड बनाया जाएगा। स्मार्ट सिटी ने इस साल शहर के पुराने खेल मैदानों को संबारने की एक बड़ी स्कीम भी बनाई है। जिसमें शहर के पुराने मैदानों को चिन्हित करके, स्पोर्ट्स काम्पलेक्स बनाया जाना है। इस पर पचास करोड़ तक खर्च होंगे। इसके पहले सुभाष स्टेडियम का री-डेवलफ्मेंट भी स्मार्ट सिटी ने किया, जिसके परिसर में बनाई गई दुकानें अब तक खाली पड़ी हैं।