राष्ट्रीय उद्यान तथा अभ्यारण्य
मध्य प्रदेश शासन के राज्य पत्र में 14/12/2018 को जारी अधिसूचना के अनुसार कूनो पालपुर अभ्यारण्य को कूनो राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया है, साथ ही करेरा अभ्यारण्य शिवपुरी को डीनोटिफिकेशन किया गया तथा कुछ अभ्यारण्य के कुछ क्षेत्रों को भी डीनोटिफिकेशन किया गया है। कूनो राष्ट्रीय उद्यान बन जाने से प्रदेश में जहां राष्ट्रीय उद्यानों की संख्या 11 से बढ़कर 12 हो गई वहीं दो अभ्यारण्य कम होने से अब वर्णों की संख्या 31 से घटकर 29 रह गई है।
नवीन परिवर्तन से प्रदेश में सोन चिड़िया के लिए संरक्षित दो अभ्यारण्य करेरा तथा घाटीगांव मैं से करेरा के डीनोटिफिकेशन के बाद केवल घाटीगांव अभ्यारण्य ही सोन चिड़िया के लिए आरक्षित अभ्यारण्य के रूप में रह गया है। 4 सितंबर 2018 को हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में करेरा अभ्यारण्य के गठन की अधिसूचना को रद्द कर, सोनचिड़िया अभ्यारण्य, घाटीगांव के आंशिक क्षेत्र का डिनोटिफिकेशन तथा अन्य विकास योजनाओं में उपयोग में आ रही अभ्यारण्य राष्ट्रीय उद्यान की भूमि के समतुल्य होगी को संरक्षित क्षेत्र के रूप में शामिल करते हुए कूनो राष्ट्रीय उद्यान के गठन की मंजूरी दी।
मध्य प्रदेश के रीवा जिले के ग्राम मुकुंदपुर मैं विश्व की पहली टाइगर सफारी की स्थापना की गई है, साथ ही चिड़ियाघर और उपचार केंद्र की स्थापना की गई है। मध्यप्रदेश में सर्वाधिक 12 राष्ट्रीय उद्यान और 30 अभ्यारण्य है। इसमें से एक राष्ट्रीय उद्यान ओमकारेश्वर सदस्य अभ्यारण्य प्रस्तावित है। राष्ट्रीय में दो राष्ट्रीय उद्यान जीवाश्म संरक्षण हेतु स्थापित किए गए हैं। प्रदेश के राष्ट्रीय अभ्यारण्य एवं उद्यान के अंतर्गत कुल क्षेत्र 10.99 हजार वर्ग किलोमीटर है जिसमें से वन क्षेत्र 9.12 हजार वर्ग किमी. है।
मध्य प्रदेश में सबसे बड़ा अभ्यारण्य नौरादेही है। इसका क्षेत्रफल 1194.67 वर्ग किलोमीटर है। यह सागर जिले में आता है। सबसे छोटा अभ्यारण्य रालामंडल (इंदौर) अभ्यारण्य है। सरदारपुर (धार), सैलाना (रतलाम) खरमोर सच्ची के संरक्षण के लिए है। घाटीगांव (ग्वालियर) अभ्यारण्य में लिप्त प्राय सोन चिड़िया का संरक्षण किया गया है। चंबल (मुरैना) केन (छतरपुर), सोन (शहडोल) सीधी में घड़ियाल पाए जाते हैं। कूनो राष्ट्रीय उद्यान में गिरे अध्ययन से एक अध्ययन में एशियाई शेरों को स्थानांतरण करने का प्रस्ताव है।
मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट के नाम से जाना जाता है, बाघ रिपोर्ट 2018 के अनुसार बाघों की संख्या के हिसाब से मध्य प्रदेश का पहला स्थान है जबकि द्वितीय स्थान पर कर्नाटक है। वन्य प्राणी संरक्षण के लिए कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध है। राज्य के राष्ट्रीय उद्यानों में सर्वाधिक संख्या में पाए जाने वाला जीव चीतल है।
प्रदेश के 6 राष्ट्रीय उद्यानों में कान्हा – किसली, पेंच, पन्ना, बांधवगढ़, सतपुड़ा तथा संजय राष्ट्रीय उद्यान में प्रोजेक्ट टाइगर योजना लागू है तथा एक अभ्यारण रातापानी को भी टाइगर प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है। प्रदेश का प्रथम जीवाश्म उद्यान डिंडोरी में स्थित है। जिसका दूसरा जीवाश्म उद्यान (डायनासोर) घर में स्थापित किया गया है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा पंचमणि को देश का दसवां तथा मध्य प्रदेश का पहला बायोस्फीयर रिजर्व क्षेत्र घोषित किया गया।
प्रदेश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय उद्यान कान्हा किसली है। बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान सफेद शेरों के लिए प्रसिद्ध है। सबसे छोटा राष्ट्रीय उद्यान जीवाश्म (फॉसिल) डिंडोरी है। पन्ना स्थित अभयारण्य जंगली भैंसा के लिए राष्ट्रीय उद्यान हेतु प्रस्तावित है। प्रदेश का एकमात्र सर्प उद्यान भोपाल में है। प्रदेश में प्रोजेक्ट एलीफेंट व प्रोजेक्ट हगल भी चल रहे हैं। प्रदेश में लगभग 40% वन्य प्राणी राष्ट्रीय उद्यान एवं अभयारण्य से बाहर है।
प्रदेश में दुर्लभ प्रजाति ब्रेडरी का बारहसिंघा प्रदेश के एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान कान्हा किसली में पाया जाता है। मध्य प्रदेश के कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान में अमेरिका के नेशनल पार्क सर्विस के सहयोग से पार्क इंटरप्रिटेशन योजना लागू की गई है। मध्यप्रदेश के पन्ना में रेप्टाइल पार्क है जो प्रदेश में एकमात्र है। मध्य प्रदेश के संजय राष्ट्रीय उद्यान का पूरा नाम डूबरी है। मध्य प्रदेश के कान्हा किसली तथा बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यानों को जंगल गलियारा योजना के तहत जोड़ने का प्रस्ताव है।
राष्ट्रीय उद्यान व अभयारण्य की दृष्टि से प्रदेश का देश में प्रथम स्थान है। मध्य प्रदेश के पेंच राष्ट्रीय उद्यान में कृष्ण मृगो की संख्या सर्वाधिक है। मध्य प्रदेश के कान्हा किसली राष्ट्रीय उद्यान में हालोघाटी तथा बजरंग घाटी स्थित है। मध्य प्रदेश का बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान सर्वाधिक घनत्व (शेरों की दृष्टि से) वाला उद्यान है। यहां पर प्रत्येक 8 किलोमीटर पर एक शेर पाया जाता है, जो देश में सर्वाधिक हैं।
मध्य प्रदेश का पेंच राष्ट्रीय उद्यान अब इंदिरा गांधी प्रियदर्शनी राष्ट्रीय उद्यान के नाम से जाना जाता है। विश्व में टाइगर प्रोजेक्ट के जन्मदाता गेनी मैनफोर्ड है जबकि भारत में इसके जन्मदाता कैलाश सांखिल्य है। भोपाल का वन विहार राष्ट्रीय उद्यान एक अनोखा राष्ट्रीय उद्यान है, जिसे आधुनिक चिड़ियाघर के रूप में भी मान्यता प्राप्त है। प्रदेश का रीवा जिला प्रदेश का एकमात्र ऐसा जिला है जहां पर सफेद शेर पाए जाते हैं। गिद्ध प्रजाति के संरक्षण हेतु प्रोजेक्ट अस्तित्व गांधी सागर अभ्यारणय से शुरू किया गया है।
मध्यप्रदेश में अभयारण्य के नाम, जिले व प्रमुख वन्य प्राणी
- खिवनी (देवास) – प्रमुख वन्य प्राणी तेंदुआ, चीतल, सांभर, नीलगाय, हिरण।
- नरसिंहगढ़ (राजगढ़) – प्रमुख वन्य प्राणी तेंदुआ, सांभर, चीतल, जंगली, सूअर, मोर।
- गांधीसागर (मंदसौर /नीमच) – प्रमुख वन्य प्राणी तेंदुआ, चीतल, चिंकारा, नीलगाय, जलपक्षी।
- बोरी (होशंगाबाद) – प्रमुख वन्य प्राणी शेर, तेंदुआ, सांभर, चीतल, गौर, हिरण, जंगली सूअर।
- पचमढ़ी (होशंगाबाद) – प्रमुख के वन्य प्राणी शेर, तेंदुआ, सांभर, चीतल, गौर, नीलगाय, चिंकारा।
- डूबरी(संजय) (सीधी) – प्रमुख वन्य प्राणी शेर, तेंदुआ, चीतल, नीलगाय, सांभर, चिकारा।
- रातापानी (रायसेन /सीहोर) – प्रमुख वन्य प्राणी शेर, सांभर तेंदुआ, चीतल, नीलगाय।
- सिंघोरी (रायसेन) – प्रमुख वन्य प्राणी तेंदुआ, शेर, सांभर, चीतल, नीलगाय।
- नौरादेही (सागर /दमोह /नरसिंहपुर) – शेर, तेंदुआ, चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली कुत्ता प्रमुख वन प्राणी है।
- राष्ट्रीय चंबल (मुरैना) – घड़ियाल, मगरमच्छ, कछुआ, उदबिलाव, डॉल्फिन, घड़ियाल प्रमुख एवं प्राणी है।
- केन(घड़ियाल) (छतरपुर /पन्ना) – मुख्य वन्य प्राणी घड़ियाल, मगरमच्छ।
- सोन (सीधी /शहडोल /सतना /सिंगरौली) – प्रमुख वन्य प्राणी घड़ियाल, मगरमच्छ, कछुआ, प्रवासी पक्षी।
- पेंच (सिवनी /छिंदवाड़ा) – शेर, तेंदुआ, सांभर, चीतल, गौर प्रमुख वन्य प्राणी है।
- घाटीगांव (ग्वालियर) – चिंकारा, सांभर, नीलगाय, सुनहरी चिड़िया प्रमुख वन्य प्राणी है।
- बगोदरा (सीधी) – प्रमुख वन्य प्राणी तेंदुआ, चीतल, सांभर, नीलगाय।
- फेन (मंडला) – तेंदुआ, शेर, चीतल, सांभर प्रमुख वन्य प्राणी है।
- पनपथा (उमरिया) – प्रमुख वन्य प्राणी शेर, तेंदुआ, चीतल, सांभर, नीलगाय चौसिंगा, हिरन।
- सरदारपुर (धार)
- सैलाना (रतलाम)
- गनगऊ (पन्ना)
- रालामंडल (इंदौर)
- ओरछा (निवाड़ी)
- वीरांगना(दुर्गावती) (दमोह)
- कालीभीत(प्रस्तावित) (बैतूल)
- सुरमेनिया(प्रस्तावित) (खंडवा)
- मांधाता(प्रस्तावित) (खंडवा)
- कट्ठीवाड़ा(प्रस्तावित) (अलीराजपुर)
- मयूर(प्रस्तावित) (झाबुआ)
- कामधेनु गौ अभ्यारण्य (आगर मालवा)
- मांडू वनजीव अभ्यारण्य(प्रस्तावित) मांडू (धार)
मध्यप्रदेश में यह 30 अभयारण्य है।
मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान के नाम ,जिला प्रमुख वन्य प्राणी
- बांधवगढ़ (उमरिया /कटनी) – प्रमुख वन्य प्राणी बाघ, तेंदुआ, चीतल, सांभर, सफेद शेर आदि है।
- फॉसिल (डिंडोरी) – वनस्पति जीवाश्म
- कान्हा किसली (मंडला /बालाघाट) – बाघ, तेंदुआ, चीतल, सांभर, गौर, कृष्ण मृग, बायसन, बारहसिंगा प्रमुख वन्य प्राणी है।
- माधव (शिवपुरी) – प्रमुख वन्य प्राणी तेंदुआ, सांभर, चीतल, नीलगाय, चिंकारा, जंगली सूअर, प्रवासी पक्षी, मगरमच्छ इत्यादि है।
- पन्ना (पन्ना /छतरपुर) – बाघ, तेंदुआ, चीतल, सांभर, चिंकारा, भालू आदि प्रमुख वन्य प्राणी है।
- पेंच (सिवनी /छिंदवाड़ा) – प्रमुख वन्य प्राणी बाघ, तेंदुआ, चीतल, सांभर, गौर, नागपुर मुंजक, हिरन आदि है।
- संजय (सीधी) – बाघ, तेंदुआ, चीतल, नीलगाय, चिंकारा आदि प्रमुख वन्य प्राणी है।
- सतपुड़ा (होशंगाबाद) – प्रमुख के वन्य प्राणी बाघ, तेंदुआ, चीतल, गौर, सांभर, भालू, मूंजक, हिरण आदि है।
- वन विहार (भोपाल) – मध्य प्रदेश के सभी वन्य प्राणी।
- ओम कालेश्वर (खंडवा) – राज्य के सभी मुख्य प्राणी (निर्माणाधीन)।
- डायनासोर जीवाश्म उद्यान (धार) – डायनासोर के जीवाश्म।
- कूनो राष्ट्रीय उद्यान (श्योपुर) – एशियाई शेरों की पुनः स्थापना के लिए।