दिल्ली / केंद्र सरकार इन दिनों देश में र्यावरण प्रदूषण और ईंधन से निपटने के लिए देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल पर जोर दे रही है। फेम इंडिया के दूसरे चरण में केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात और चंडीगढ़ के लिए 670 नई इलेक्ट्रिक बसों को मंजूरी दी है। वहीं मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, गुजरात और पोर्ट ब्लेयर में 241 चार्जिग स्टेशन को भी मंजूरी मिली है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने शुक्रवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि मोदी सरकार पर्यावरण अनुकूल पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने फेम इंडिया के दूसरे चरण के बारे में जानकारी देते हुए कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में इलेक्ट्रिक गाड़ियों का प्रचार और प्रसार बढ़ रहा है। मैं पिछले एक साल से इलेक्ट्रिक गाड़ी का उपयोग कर रहा हूं। इलेक्ट्रिक गाड़ी का बहुत अच्छा अनुभव है। एक रुपये किलोमीटर फ्यूल चार्ज है। एक यूनिट में ये गाड़ी दस किलोमीटर चलती हैं। अब बहुत सारी गाड़ियां आने लगीं हैं, जो सस्ती भी हैं और अच्छी भी हैं।
केंद्रीय मंत्री जावडेकर ने मोदी सरकार की ओर से फेम इंडिया कार्यक्रम के तहत इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के निर्णय को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों को पहले ही चार सौ से अधिक बसें दी जा चुकी हैं। उन्होंने कहा, मुझे खुशी हो रही है कि महाराष्ट्र, गोवा, गुजरात और चंडीगढ़ में 670 ई बसें मंजूर हुईं हैं। वहीं 241 चाजिर्ंग स्टेशन एमपी, तमिलनाडु, केरल, गुजरात और पोर्ट ब्लेयर के लिए मंजूर किए गए हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए चाजिर्ंग स्टेशनों की स्थापना आवश्यक है।
केंद्रीय मंत्री जावडेकर ने बताया कि कुल 670 में महाराष्ट्र को 240, गुजरात को 250, चंडीगढ़ को 80 और गोवा को 100 बसें देने का निर्णय लिया गया है। केरल सहित बाकी जगहों पर चाजिर्ंग स्टेशन शुरू कर रहे हैं। इसी तरह से देश में इलेक्ट्रिकल गाड़ियां बहुत बड़े पैमाने पर चलने लगेंगी। उन्होंने सभी से इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रयोग करने की अपील की।
दरअसल, मोदी सरकार ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण और उनके तेजी से इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए एक अप्रैल 2015 से फेम इंडिया योजना लागू की है। इस योजना का दूसरा चरण एक अप्रैल 2019 से अगले तीन वर्षों के लिए शुरू हुआ है। इस योजना पर 2021-22 तक कुल 10,000 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य है।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश में इलेक्ट्रिक और हाईब्रिड वाहनों के तेजी से इस्तेमाल को बढ़ावा देना है। इसके लिए लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद में शुरूआती स्तर पर प्रोत्साहन राशि देने के साथ ऐसे वाहनों की चाजिर्ंग के लिए पर्याप्त आधारभूत ढांचा विकसित करना है। सरकार का मानना है कि यह योजना पर्यावरण प्रदूषण और ईंधन सुरक्षा जैसी समस्याओं का समाधान करेगी।