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महिला पायलटों ने रचा इतिहास, नॉर्थ पोल से होकर सैन फ्रांसिस्को से भारत पहुंची एअर इंडिया की फ्लाइट

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देश के युवा दुनियाभर में अपने हुनर और प्रतिभा के चलते देश का गौराव बढ़ा रहे हैं। इसी कड़ी में एयर इंडिया ( Air India ) की चार महिला पायलटों ( Women Pilot ) की एक टीम ने भी इतिहास रचा है। दरअसल चार महिला पायलटों ने दुनिया के सबसे लंबे हवाई मार्ग नॉर्थ पोल पर उड़ान भर कर पूरे विश्व को अपनी ताकत दिखा दी है।

अमरीका के सैन फ्रांसिस्को शहर से उड़ान भरने के बाद यह टीम नॉर्थ पोल से होते हुए बेंगलूरु पहुंच गई है। केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरते ही इन महिला पायलटों को जोरदार स्वागत भी किया गया।

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16 हजार किमी का सफर किया तय
भारतीय महिला पायलटों ने अपना दम दिखाते हुए दुनिया को बता दिया है वो किसी कम नहीं है। सबसे लंबी उड़ान के साथ ही महिला पायलटों की टीम ने इतिहास रच दिया है। इस दौरान इन पायलटों ने करीब 16,000 किलोमीटर की दूरी तय की है। यह फ्लाइट नॉर्थ पोल के ऊपर से होते हुए और अटलांटिक मार्ग से बेंगलुरु एयरपोर्ट पहुंची है।

इस टीम ने रचा इतिहास
कैप्टन जोया अग्रवाल ने इस ऐतिहासिक उड़ान का नेतृत्व किया। उनके साथ को-पायलट के तौर पर कैप्टन पापागरी तनमई, कैप्टन शिवानी और कैप्टन आकांक्षा सोनवरे भी शामिल रहीं।

आंकड़ों पर एक नजर

  • 4 महिला पायलटों ने पूरी की दुनिया का सबसे लंबी उड़ान
  • 16000 किमी की दूरी की तय
  • 17 घंटे का लगा वक्त
  • 10 टन ईंधन की बचत

एयर इंडिया ने यात्रियों को भी दी बधाई
एयर इंडिया ने ट्वीट कर महिला पायलटों की टीम का जोरदार स्वागत किया। ट्वीट पर लिखा- ‘वेलकम होम, हमें आप सभी (महिला पायलटों) पर गर्व है। हम AI176 के पैसेंजर्स को भी बधाई देते हैं, जो इस एतेहासिक सफर का हिस्सा बने।’

10 टन ईंधन की बचत
ऐतिहासिक उड़ान भर कर बेंगलूरु एयरपोर्ट पर लैंडिंग के बाद कैप्टन जोया अग्रवाल ने कहा, हमने न सिर्फ उत्तरी ध्रुव पर उड़ान भरकर, बल्कि केवल महिला पायलटों की ओर से इसे सफलतापूर्वक करके एक विश्व इतिहास रचा है। हम इसका हिस्सा बनकर बेहद खुश और गर्व महसूस कर रहे हैं। इस मार्ग ने 10 टन ईंधन बचाया है।

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फ्लाइट का संचालन करने वाली टीम में से एक पायलट शिवानी ने कहा कि यह एक रोमांचक अनुभव था, क्योंकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था।

हरदीप पुरी ने भी दी बधाई
सिविल एविएशन मिनिस्टर हरदीप पुरी ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘सैन फ्रांसिस्को से बेंगलुरु तक का ये ऐतिहासिक सफर महिला पायलटों की वजह से वंदे भारत मिशन को और भी खास बनाती है। मिशन ने अब तक 46.5 लाख से अधिक लोगों की अंतर्राष्ट्रीय यात्रा की सुविधा प्रदान की है।

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