mpnewsnow.com

Covid-19: कोवैक्सीन का हुआ ह्युमन ट्रायल, टीकाकरण नहीं?

mpnewsnow.com

देश में टीकाकरण शुरू हो गया, लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि कोवैक्सीन की डोज लेने वालों से एक सहमित पत्र भरवाया गया है, जिसमें जिक्र किया गया है कि अगर वैक्सीन लेने के बाद किसी भी तरह के गलत प्रभाव पड़ते हैं तो वैक्सीन लेने वाले को हर्जाना और इलाज का पूरा अधिकार होगा। दरअसल, इस तरह का सहमति पत्र केवल ह्यूमन या क्लिनिकल ट्रायल के दौरान भरवाया जाता है।

यह भी पढ़ें – Bigg Boss 14 शो की टैलेंट मैनेजर Pista Dhakad की सड़क दुर्घटना में मौत

WhatsApp & Telegram Group Join Buttons
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

ऐसे में सवाल खड़ा हो गया है कि कोवैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल हो रहा है या फिर टीकाकरण? अगर टीकाकरण हो रहा है तो फिर यह भरवाने की जरूरत क्या है और वैक्सीन चुनने का विकल्प क्यों नहीं? दूसरा बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि ट्रायल के लिए उपयोग होने वाली वैक्सीन की कीमत सरकार ने अदा क्यों की? ट्रायल के दौरान इस्तेमाल होने वाली वैक्सीन की कीमत कंपनी की ओर से मुफ्त होती है।

यह भी पढ़ें – MP: अब ऑनलाइन मिलेगी शराब, करना होगा ऑनलाइन बुकिंग

सहमति पत्र में यह लिखा है: कोवैक्सीन के सहमति पत्र में साफ लिखा है कि कोवैक्सीन की क्लीनिकल एफिशिएंसी अभी स्थापित होनी है। इसका तीसरे फेज के ट्रायल में अध्ययन किया जा रहा है। साथ ही वैक्सीन लगवाने वाले को गंभीर परिणाम आने पर भारत बायोटेक मुआवजा देगी। यह मुआवजा आइसीएमआर की कमेटी तय करेगी। इसके साथ ही बीमार को इलाज का अधिकार भी मिलेगा। सहमति पत्र में साफ लिखा हुआ है कि सहमति देने से पहले सभी बातों को जानने का अधिकार है और इसकी जानकारी वैक्सीन देने वाले से ली जा सकती है। यानि, दूसरे शब्दों में कहें तो पत्र में दस्तखत करने का मतलब है कि आपको वैक्सीन के उपयोग और दूसरी चीजों के बारे में पूरी तरह से स्पष्ट किया जा चुका है।

यह भी पढ़ें – MP: भोपाल, इंदौर और जबलपुर में टीकाकरण अभियान शुरू, पहला टीका लगाया गया

क्लीनिकल ट्रायल का हिस्सा होंगे: डीसीजीआइ डॉ. वीजी सोमानी ने कहा था कि जिन लोगों को कोवैक्सीन टीके लगाए जाएंगे, उन्हें क्लीनिकल ट्रायल का हिस्सा माना जाएगा। उनसे सहमति पत्र भरवाया जाएगा। सवाल है कि कोई नियंत्रण समूह होगा। वे अधिकार जो सामान्य तौर पर किसी ट्रायल के वॉलिंटियर को मिलते हैं, क्या वही कोवैक्सीन लगवाने वालों को मिलेंगे? अब सवाल यही है कि अगर यह क्लिनिकल ट्रायल हो तो फिर सरकार ने 55 लाख वैक्सीन डोज का भुगतान क्यों किया?

यह भी पढ़ें – WhatsApp का सामने आया असली चेहरा, भारत के साथ कर रहा है ‘खेल’!

अप्रूवल पर भी उठे थे सवाल: कोवैक्सीन को मंज़ूरी दिए जाने पर खासा विवाद छिड़ा था। वैक्सीन की एफिकेसी यानी प्रभावकारिता को लेकर सवाल किए जा रहे हैं। भारत बायोटेक की बनाई कोवैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल अभी जारी है और एफिकेसी डेटा अब तक उपलब्ध नहीं है। कई वैज्ञानिकों ने कोवैक्सीन को अप्रूवल दिए जाने की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा है कि ये नियामक के ही मापदंडों पर खरी नहीं उतरती।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *