
Bhopal: राजधानी में बैंककर्मियों ने मिलीभगत कर करोड़ों रुपए के घोटाले को अंजाम दिया है। पुलिस ने तीन बैंक अधिकारियों समेत नौ आरोपियों के रैकेट को पकड़ा है। सरकारी सब्सिडी का लाभ लेने के लिए बैंक मैनेजर, कर्मचारी और दलालों के रैकेट ने एक बैंक खाते में 10 बार में 62 लाख रुपए जमा कराए और आपस में बांट लिए। रैकेट का खुलासा तब हुआ, जब बैंक खाता धारक ने अपने नाम से उठाए गए लोन पर आपत्ति जताई।
डीसीपी रियाज इकबाल ने बताया कि यूको बैंक हनुमानगंज का तत्कालीन मैनेजर मुकेश श्रीवास्तव और सिंडीकेट बैंक कोहेफिजा का मैनेजर देवेन्द्र साहू अन्य कर्मचारियों से मिलकर सरकारी सब्सिडी के लोन जारी करते थे। बैंककर्मियों ने व्यवसायी कन्हैयालाल से लोन आवेदन पत्र भरवाया था।
इसके बाद सिंडीकेट बैंक से 7 लाख का लोन उसके नाम जारी करवाया। लोन चुकाकर सब्सिडी की 25% राशि आपस में बांट ली। सिलसिला बढ़ा, कन्हैयालाल के ही खाते में 10 बार में 62 लाख रुपए जमा करा दिए और फिर आपस में बांट लिए। घोटाले का खुलासा तब हुआ, जब कन्हैयालाल को पता चला। उसी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।
करोड़ों में जाएगा आंकड़ा
जांच में पता चला कि मैनेजरों और कर्मचारियों ने स्मॉल स्केल इंडस्ट्री श्रेणी में वर्मा ट्रेडर्स के कन्हैयालाल डाबी के नाम से बॉम्बे मर्केंटाइल कोऑपरेटिव बैंक पीर गेट में खाता खुलवाया। दोनों मैनेजरों ने अपने बैंक से 62 लाख जमा करवाए। इसके बाद बाकी बैंकों में भी लोन के लिए अप्लाई कर दिया। डीसीपी इकबाल के अनुसार, पुलिस अब बाकी बैंकाें की भी जांच कर रही है।
ऐसे करते थे फर्जीवाड़ा
स ब्सिडी लोन पर सरकार की ओर से 25% सब्सिडी मिलती है। मान लीजिए आपने एक करोड़ का लोन लिया है तो 25 लाख सरकार और 75 लाख बैंक की ओर से मिलेंगे। इस घोटाले में आरोपी बैंक की राशि का आधा पैसा वापस कर केस डिफॉल्टर घोषित करवा देते थे। ऐसे में सरकार की 25% सब्सिडी और लोन की आधी राशि डूबत खाते में चली जाती थी।
इन्हें किया गिरफ्तार
यूको बैंक के मुकेश श्रीवास्तव, सिंडीकेट के देवेंद्र साहू, असिस्टेंट मैनेजर प्रमोद वर्मा, जमुना प्रसाद, मनोज तोमर व दलाल बहार मियां, शंकर साहू, राजकुमार, लव कुमार।